CM ने केन्द्रीय कानून मंत्री को पत्र लिखकर कहा, 'राज्य सरकारें CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने में सक्षम'

Edited By Vatika,Updated: 04 Jan, 2020 11:37 AM

cm wrote a letter to the union law minister and said

पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने केन्द्रीय कानून व न्याय मंत्री द्वारा केरल सरकार द्वारा विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून को लेकर ..

जालंधर(धवन) : पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने केन्द्रीय कानून व न्याय मंत्री द्वारा केरल सरकार द्वारा विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून को लेकर केरल विधानसभा द्वारा पास किए गए प्रस्ताव का विरोध करने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केरल विधानसभा में जनता की आवाज के अनुसार प्रस्ताव पारित हुआ है तथा उसे केन्द्र सरकार को भी सुनना चाहिए।

केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखे खुले पत्र में मुख्यमंत्री ने उनके हाल ही में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ राज्यों द्वारा सी.ए.ए. के खिलाफ उठाए गए कदमों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए। कैप्टन ने कहा कि राज्यों द्वारा सी.ए.ए. के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों का विरोध करने वाले रानजीतिज्ञों को पहले इन मामलों में कानूनी सलाह ले लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित राज्यों ने पहले ही इस संबंध में कानूनी सलाह ले ली है तथा केरल विधानसभा में पास प्रस्ताव वास्तव में लोगों की इच्छा का प्रतीक है तथा लोगों द्वारा निर्वाचित विधायकों के माध्यम से विधानसभा में प्रस्ताव पारित हुआ है। उन्होंने कहा कि विधायक जनता की आवाज होते हैं। उन्होंने कहा कि केवल संसद का ही विशेषाधिकार नहीं होता बल्कि अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों की भी संवैधानिक जिम्मेदारी होती है।  

मुख्यमंत्री के अनुसार कानून मंत्री का यह विचार उचित नहीं है कि धारा-245 के तहत केवल संसद के पास ही कार्यकारी शक्तियां व कानून बनाने के अधिकार हैं न कि राज्य सरकारों के पास। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि केन्द्रीय कानून मंत्री भ्रमित हुए हैं। केरल विधानसभा ने नागरिकता को लेकर कोई कानून नहीं बनाया है, बल्कि अपने प्रस्ताव के माध्यम से उन्होंने भारत सरकार से कहा कि वह सी.ए.ए. में संशोधन करें। कानून मंत्री व वकील होने के कारण रविशंकर प्रसाद को यह अच्छी तरह से आभास है कि प्रस्ताव पूरी तरह से सही है। संसद को किसी भी कानून में संशोधन करने का अधिकार है। राज्यों को कानूनों को लेकर अपने संवैधानिक उत्तरदायित्व का आभास है। संबंधित राज्यों के नेताओं ने चुनाव जीते हैं तथा भारतीय संविधान के तहत पद व गोपनीयता की शपथ ली हुई है। उन्होंने रविशंकर प्रसाद का ध्यान संविधान की प्रस्तावना की तरफ दिलाते हुए कहा कि इसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द का अर्थ उन्हें अच्छी तरह से ज्ञात होना चाहिए। संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द को विशेष रूप से 42वें संवैधानिक संशोधन कानून के तहत 1976 में जोड़ा गया था। हमारा संविधान हमें धर्मनिरपेक्ष चरित्र बनाए रखने को प्रेरित करता है तथा राज्यों द्वारा संविधान में कही गई बातों पर चला जा रहा है। 

पंजाब सीमावर्ती राज्य, सी.ए.ए. का बुरा प्रभाव पडऩे की आशंका
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है, जहां पर सी.ए.ए. का बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि सी.ए.ए. के कारण लोगों के अंदर रोष बढ़ा है। सी.ए.ए. की भाषा से पता चलता है कि अगर किसी भी गैर कानूनी प्रवासी व्यक्ति ने कोई लाभ लेना है तो वह हर प्रकार से भारतीय होना चाहिए, क्योंकि देश में अफगानिस्तान, बंगलादेश व पाकिस्तान से वर्षों पहले आए लोग भी रह रहे हैं। ये लोग भारतीय नागरिक भी हो सकते हैं, रैजीडैंट भी हो सकते हैं व अस्थाई नागरिक भी हो सकते हैं, इसलिए सीमा पार से शरारती तत्व कानून की भाषा से लोगों को गुमराह कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी कहा कि अगर हम एन.आर.सी. तथा सी.ए.ए. को साथ मिलाकर देखें तो कई भारतीय मुसलमानों को नागरिकता के अधिकार से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसी आशंका है कि कानून को तोड़-मरोड़ कर कुछ अपने राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर सकते हैं।

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