एक ओर शहीद पिता का संस्कार, दूसरी तरफ बेटी कुंजदीप की नेवी में हुई सिलैक्शन

Edited By Vatika,Updated: 27 Feb, 2020 01:13 PM

martyr father in gurdaspur

पटियाला में एन.सी.सी. कैडेट्स को जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण देने मौके शहादत का जाम पीने वाले वायु सेना के ग्रुप कैप्टन गुरप्रीत सिंह चीमा का आज उनके जद्दी गांव आलोवाल में सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

गुरदासपुर/धारीवाल: पटियाला में एन.सी.सी. कैडेट्स को जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण देने मौके शहादत का जाम पीने वाले वायु सेना के ग्रुप कैप्टन गुरप्रीत सिंह चीमा का आज उनके जद्दी गांव आलोवाल में सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान हजारों नम आंखों ने शहीद को अंतिम विदाई दी। 

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डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इशफाक, सकत्तर सिंह बल एस.डी.एम. गुरदासपुर, नवजोत सिंह संधू एस.पी. (हैडक्वार्टर) गुरदासपुर सहित एयर फोर्स के अधिकारियों ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी। मोहम्मद इशफाक ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तरफ से शहीद गुरप्रीत सिंह चीमा को श्रद्धा के फूल अर्पित किए और परिवार के साथ दुख व्यक्त किया। शहीद के परिवार को दिलासा देते हुए डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि पूरे देश को शहीद गुरप्रीत सिंह चीमा की शहादत पर मान है।

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उन्होंने कहा कि शहीद के परिवार के अंदर देशभक्ति के जज्बे की इससे बड़ी और क्या मिसाल मिल सकती है कि आज शहीद की बेटी कुंजदीप कौर दिल्ली में पहले दिन नेवी की प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के लिए गई है। उन्होंने कहा कि हम सभी ऐसे परिवारों के आगे शीश झुकाते हैं और बेटी के सफल भविष्य की कामना करते हैं। उन्होंने शहीद की पत्नी नवनीत कौर और उनके पुत्र 13 वर्षीय भवगुरनीत सिंह से संवेदना जताते हुए कहा कि पंजाब सरकार परिवार के साथ इस दुख की घड़ी में शामिल है। उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से परिवार की हर संभव सहायता करने का भरोसा देते हुए कहा कि जिला प्रशासन हमेशा उनके दुख में उनके साथ खड़ा है। इससे पहले एयर फोर्स की तरफ से शहीद गुरप्रीत सिंह चीमा को श्रद्धांजलि भेंट की गई।

फूट-फूट कर रोए सैनिक स्कूल में शहीद के साथ पढ़े सहपाठी
शहीद ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा जिनकी शिक्षा सैनिक स्कूल कपूरथला से हुई थी, आज उनके अंतिम संस्कार पर उनके साथ पढ़े 20 के करीब सहपाठी फूट-फूट कर रोए। उन्हें पढ़ाने वाले अध्यापक एस.एस. आहलूवालिया व भुपिन्द्र सिंह जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं, ने जी.एस. चीमा के बारे में बताया कि वह बहुत ही होनहार, साहसी विद्यार्थी था तथा उच्च कोटि का बॉक्सर था। एक बार वह हैलीकॉप्टर लेकर स्कूल आया था तथा हैलीकॉप्टर पर उसने तिरंगा लहराते हुए पूरे स्कूल का चक्कर लगाया था। इस अवसर पर शहीद के सहपाठी डा. दलजीत सिंह चौहान, मुनीष रहलान, मलकिन्द्र सिंह, हरप्रीत सिंह, आर.एस. राणा आदि उपस्थित थे।

बोली शहीद की मां, मेरे पुत्र ने बड़े जहाज उड़ाए
शहीद की माता सर्वजीत कौर ने नम आंखों से बताया कि नौकरी के दौरान उनके बेटे ने बहुत जहाज उड़ाए। कई बार जहाज लेकर जब वह गांव के ऊपर से गुजरता था तो जहाज को नीचे कर लेता था तथा वह छत पर जाकर हाथ हिला कर बेटे को आशीर्वाद देती थी। उसने कहा कि वह जनवरी में आया था और मुझे एक कोट लेकर दे गया था।

पिता का था सपना अफसर बनाना
एक तरफ शहीद ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, दूसरी तरफ उनकी 22 वर्षीय बेटी कुंजदीप कौर की नेवी में सिलैक्शन हो गई। बेटी ने मंगलवार को पटियाला पहुंच शहीद पापा को श्रद्धांजलि अर्पित की और अंतिम संस्कार वाले दिन उसका दिल्ली में मैडीकल हो गया जिसमें पास होने पर उसकी नेवी में सिलैक्शन हो गई। इस तरह एक बेटी ने देशहित को प्राथमिकता देते हुए शहीद पिता के सपनों को साकार किया, क्योंकि उनके पापा हमेशा कहते थे कि तुम्हें सेना में अफसर बनना है।

गांव में बने शहीद की यादगार : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र विक्की ने कहा कि ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा गांव का चहेता था तथा हर जरूरतमंद की सहायता करता था। आज उसकी शहादत पर गांव ही नहीं हर क्षेत्रवासी की आंख नम है। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा की शहादत को शाश्वत रखने हेतु गांव में उनकी कोई यादगार बननी चाहिए ताकि भावी पीढ़ी उनके बलिदान से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना में भर्ती हो सकें।

बोला शहीद का बेटा-गर्व है पापा की शहादत पर, मैं भी बनूंगा सैनिक
ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा के बेटे भवगुरनीत सिंह ने कहा कि उन्हें अपने पापा की शहादत पर गर्व है तथा वह खुद भी एक सैनिक बनकर देश सेवा को प्राथमिकता देगा। उसने कहा कि 2 दिन पहले ही उनकी फोन पर पापा से बात हुई थी। उन्हें कहा था कि एग्जाम ठीक-ठाक देना। वह हमेशा कहते थे कि जिंदगी में अगर मुझे कुछ हो गया तो कभी भी अपनी आंखों में आंसू मत लाना। शहीद के बेटे ने कहा कि सरकार को चाहिए कि की एन.सी.सी. कैडेट्स को ट्रेङ्क्षनग देने वाले जहाजों में सुधार करे ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के हादसे का शिकार न हो।

बिगुल की मातमी धुन के साथ दी शहीद को अंतिम सलामी
शहीद ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा की तिरंगे में लिपटी हुई पार्थिव देह को वायुसेना के जवान जब श्मशानघाट ले जाने लगे तो कल तक पत्थर की मूर्ति बनी शहीद की मां सर्वजीत कौर व पत्नी नवनीत कौर की करूण चीखें पत्थरों का कलेजा भी छलनी कर रही थीं। पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन से विंग कमांडर रिंकू डोगरा के नेतृत्व में एयरफोर्स के जवानों व तिब्बड़़ी कैंट से कै. अभिषेक की कमांड में टू-जैक राइफल्स के जवानों ने संयुक्त तौर पर शस्त्र उल्टे कर हवा में गोलियां दागते हुए बिगुल की मातमी धुन पर शहीद को अंतिम सलामी दी। शहीद की चिता को जब उनके बेटे भवगुरनीत सिंह ने मुखाग्नि दी तो श्मशानघाट में मौजूद सैंकड़ों लोगों ने शहीद कैप्टन ग्रुप कैप्टन जी.एस. चीमा अमर रहे, भारत माता की जय का जयघोष कर शहीद को नमन किया।

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