Ludhiana : मशहूर ज्वैलर्स को बड़ा झटका! 22 कैरेट बताकर 18 कैरेट सोना बेचा

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 06 Dec, 2025 05:32 PM

ludhiana major setback for renowned jeweler

जिला उपभोक्ता फोरम ने एक महत्वपूर्ण शिकायत का निपटारा करते हुए कल्याण ज्वैलर्स पर 22 कैरेट बताकर कम प्योरिटी वाली गोल्ड ज्वेलरी बेचने पर शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी पर उसे एक लाख रुपये का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है।

लुधियाना (मेहरा) : जिला उपभोक्ता फोरम ने एक महत्वपूर्ण शिकायत का निपटारा करते हुए कल्याण ज्वैलर्स पर 22 कैरेट बताकर कम प्योरिटी वाली गोल्ड ज्वेलरी बेचने पर शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी पर उसे एक लाख रुपये का हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है। फोरम ने यह आदेश नगर निवासी अर्शदीप सिंह की शिकायत पर निपटारा करते हुए दिया। अपनी शिकायत में उन्होंने  आरोप लगाया था कि कंपनी ने जुलाई 2021 में उनके और उनकी मां द्वारा खरीदे गए एक पेंडेंट और एक स्टड की प्योरिटी को गलत बताया। दोनों तरफ के डॉक्यूमेंट्स, लैब रिपोर्ट और सबमिशन की जांच करने के बाद, फ़ोरम ने ठहराया कि फर्म ने गलत ट्रेड प्रैक्टिस की और बिक्री के समय प्योरिटी और स्पेसिफिकेशन्स बताने में फेल रही। शिकायतकर्ता के मुताबिक,उन्होने 1 जुलाई, 2021 को 22 कैरेट सोने से बना एक पेंडेंट ₹42,719 में खरीदा था। कुछ दिनों बाद, उनकी माँ सुखबीर कौर ने भी ऐसे ही भरोसे पर ₹47,000 में एक स्टड खरीदा। दोनों चीज़ों पर हॉलमार्क स्टैम्प नहीं था।

जब शक हुआ, तो 27 अगस्त, 2021 को लुधियाना की एक ऑथराइज़्ड जगह, LD गोल्ड लैब में ज्वेलरी की टेस्टिंग की गई। लैब ने 75.21% प्योरिटी पाई—जो 18 कैरेट सोने के बराबर है—जो इनवॉइस में लिखी 22 कैरेट प्योरिटी से बहुत कम है। शोरूम स्टाफ़ को यह मामला बताने और ईमेल और लीगल नोटिस भेजने के बाद भी, शिकायत करने वाले को कथित तौर पर कोई जवाब नहीं मिला, जिस पर उन्होंने फोरम का दरवाज़ा खटखटाया। वही फोरम के समक्ष 

कंपनी ने दलील दी कि ये प्रोडक्ट पोल्की ज्वेलरी थे, जो एक पारंपरिक कैटेगरी है जिसे हॉलमार्किंग ऑफ़ गोल्ड ज्वेलरी एंड गोल्ड आर्टिफैक्ट्स ऑर्डर, 2020 के तहत ज़रूरी हॉलमार्किंग से छूट मिली हुई है। उसने आगे कहा कि पोल्की आइटम आमतौर पर MRP पर बेचे जाते हैं और उन पर हॉलमार्क स्टैम्प नहीं हो सकते हैं। ज्वेलर ने यह भी दावा किया कि इनवॉइस में प्रोडक्ट्स के नेचर के बारे में साफ़-साफ़ बताया गया था और खरीदारों को पूरी जानकारी दी गई थी।

फ़ोरम के प्रधान  संजीव बत्रा व सदस्य मोनिका भगत ने कंपनी इन दावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इनवॉइस में खुद प्योरिटी 22 कैरेट बताई गई थी, जो ज्वेलर की दलीलों के उलट था। इसने यह भी नोट किया कि शोरूम में प्राइस टैग पर प्योरिटी, क्वालिटी या वज़न की डिटेल्स नहीं दिखाई गई थीं, जिससे कस्टमर्स को ज़रूरी जानकारी नहीं मिली और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 का उल्लंघन हुआ। यह कहते हुए कि ज्वेलर "इनवॉइस में 22 कैरेट प्योरिटी बताने के बाद यू-टर्न नहीं ले सकता," पैनल ने फर्म को गुमराह करने वाली जानकारी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया,जिससे शिकायतकर्ता को पैसे का नुकसान और मानसिक परेशानी हुई।

फोरम ने अपने आदेश में ज्वेलर को 30 दिनों के अंदर हर्जाना देने का आदेश दिया, ऐसा न करने पर शिकायत दर्ज करने की तारीख से लेकर रकम मिलने तक 8% सालाना ब्याज  भी अदा करना होगा।

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