कुर्सी तो छोड़ दी पर भाजपा से ‘जफ्फी नहीं छोड़ी’: लाल सिंह

Edited By Vatika,Updated: 21 Sep, 2020 10:59 AM

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पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन (कैबिनेट मंत्री रैंक) लाल सिंह ने कहा कि जिस तरह किसी मजबूरी कारण और टाइम पास करने के...

पटियाला(राजेश पंजोला): पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन (कैबिनेट मंत्री रैंक) लाल सिंह ने कहा कि जिस तरह किसी मजबूरी कारण और टाइम पास करने के लिए पति-पत्नी सिर्फ कागजों में तलाक लेकर समाज और अदालतों की नजर में धूल झोंकने की कोशिश करते हैं, किसान बिलों के मामले पर शिरोमणि अकाली दल ने इसी तरह ही किया है। अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए अंगुली को खून लगा कर शहीद बनने की मंशा से सुखबीर सिंह बादल ने अपनी धर्मपत्नी से इस्तीफा दिलवा कर कुर्सी तो छोड़ दी है पर अभी तक किसान विरोधी भाजपा से ‘जफ्फी नहीं छोड़ी’। उन्होंने कहा कि अकाली दल ने कागजों में तो तलाक ले लिया है पर दोनों एक ही घर में रह रहे हैं। ऐसे में लोग कैसे विश्वास करें? अगर अकाली दल हकीकत में भाजपा का विरोधी है तो वह तुरन्त भाजपा के साथ अपना नाता तोड़े। 

केंद्रीय मंत्री के तौर पर मिली हुई सरकारी कोठी छोड़ कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की अगुवाई में पंजाब और किसानों को बचाने के लिए संघर्ष में शामिल हो। लाल सिंह ने कहा कि आज समय आ गया है कि कैप्टन  अमरेंद्र सिंह जैसे मजबूत लीडर की अगुवाई में पंजाब की सभी पंजाब व किसान हितैशी पाॢटयां व संगठन मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष में इकट्ठे हों। उन्होंने कहा कि एन.डी.ए. में बने रहने के अकाली दल की मंशा साफ है कि वह सिर्फ टाइम पास करना चाहते हैं। कैबिनेट में बैठ कर पहले तीनों ऑर्डीनैंसों पर सहमति देना और 6 महीने तक यह ऑर्डीनैंस लागू रहने के बाद जब लोकसभा में बिल पेश किए गए तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल सहित हर अकाली दल के लीडर ने इन किसान विरोधी बिलों का डटकर समर्थन किया। 

अब जब किसान और पंजाब के लोग बादल गांव में जाकर बादलों की कोठी समक्ष बैठ गए हैं तो मजबूरी कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा, जबकि दिल आज भी भाजपा के साथ ही है। लाल सिंह ने कहा कि यह तीनों कानून, पंजाब, पंजाब की किसानी, मजदूरों, व्यापारियों और आढ़तियों को तबाह कर देंगे। पूरे पंजाब की आर्थिक हालत तहस -नहस हो जाएगी। इन कानूनों के नतीजे काफी भयानक निकल सकते हैं और पंजाब व देश के हालात खराब हो सकते हैं, जिसका डर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह प्रकट कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वह जनता की आवाज सुनें। सिर्फ अपने अहंकार के कारण यह काले कानून लोगों पर न थापें। उन्होंने कहा कि पंजाब के गांवों का विकास मंडी बोर्ड को मिलने वाली मार्कीट फीस द्वारा होता है। यह कानून लागू होने से मंडी बोर्ड, मार्कीट कमेटियां, एम.एस.पी. सब कुछ खत्म हो जाएगा। 

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