विधानसभा में शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस और सुखपाल खैहरा के बीच जबरदस्त बहस, गरमाया माहौल

Edited By Urmila,Updated: 07 Mar, 2023 01:45 PM

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पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के बीच तीखी नोक-झोंक हुई।

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। दरअसल सुखपाल खैहरा ने सदन में प्रिंसिपलों को सिंगापुर भेजने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। इस पर शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने तीखे तेवर दिखाते हुए खैहरा को प्रिंसिपलों के तीसरे बैच के साथ सिंगापुर जाने का ऑफर दे दिया। उन्होंने कहा कि नेता खुद अमेरिका और कनाडा घूम सकते हैं पर जब सरकारी स्कूलों के आम प्रिंसिपल विदेश ट्रेनिंग लिए जाते हैं तो इस पर सवाल क्यों उठाए जाते हैं।

शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि प्रशिक्षण के लिए भेजे गए प्रिंसिपलों में से कोई भी उनका रिश्तेदार नहीं है। इस पर सुखपाल खैहा ने  आपत्ति जताई तो बैंस ने कहा कि आप बोलते हैं  तो सुनने को तैयार रहो। अगर वह  साधारण घर के लोग हैं तो क्या उनकी बात नहीं सुनी जाएगी? यदि सुखपाल खैहरा चाहेंगे तो सरकार से बात कर उन्हें भी प्रिंसिपलों के साथ सिंगापुर भेजेंगे।

इस तरह शुरू हुई  बहस

दरअसल, विधानसभा में सुखपाल खैहरा ने कहा कि प्रिंसिपलों को विदेश भेजने के मामले में माननीय राज्यपाल ने सरकार से जानकारी मांगी थी, जिस पर सरकार ने उन्हें यह कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया था कि वह सलेक्टिड हैं। लिहाजा उन्हें जवाब देनी बनता। वह लोगों द्वारा चुने हुए नुमाइंदे हैं  इसलिए सरकार को उन्हें इस पर जवाब देना चाहिए। खैहरा ने कहा कि पहले प्रिंसिपलों को प्रशिक्षण के लिए भेजने की शर्त पांच साल का कार्यानुभव और पांच साल बाकी होने लाजिमी थे  लेकिन बाद में इस शर्त को बदलकर दो साल के लिए कर दिया गया। सरकार को इस प्रक्रिया की जानकारी देनी चाहिए।

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शिक्षा मंत्री ने दिया जवाब

इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रिंसिपलों को विदेश भेजने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ शर्तें लगाई गई थीं, जिसमें पांच साल की सेवा और पांच साल का अनुभव अनिवार्य था और आवेदक पर कोई आपराधिक मामला नहीं होना चाहिए। इसलिए आवेदन कम आ रहे थे। फिर उन्होंने इस पर विचार किया और शर्त को पांच साल से घटाकर 2 साल कर दिया। प्रशिक्षण के लिए भेजे गए सभी प्राचार्य पुरस्कृत हैं। पहला बैच 4 फरवरी को गया था। वह सभी प्रिंसिपलों को प्रशिक्षण के लिए भेजेंगे।

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