चंद लोगों के Fun ने क्या हाल कर दिया मासूम बच्ची का, पढ़ें दिल दहला देने वाला मंजर

Edited By Vatika,Updated: 08 Feb, 2021 01:13 PM

he bloody door of firi china on the eye of an innocent child

पंजाब केसरी’ द्वारा ड्रैगन डोर के खतरे को लेकर प्रकाशित की जा रही खबरों के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया गया

जालंधर (वरुण): ‘पंजाब केसरी’ द्वारा ड्रैगन डोर के खतरे को लेकर प्रकाशित की जा रही खबरों के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया गया जिसके कारण शहर के मासूम बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ रही है। प्रशासन की लापरवाही व चंद लोगों के खेल के कारण  रविवार दोपहर प्रीत नगर, सोढल रोड पर अपने माता-पिता के साथ एक्टिवा के आगे बैठकर जा रही 5 साल की मासूम बच्ची ड्रैगन डोर की चपेट में आ गई, जिस कारण बच्ची का चेहरा बुरी तरह से कट गया। खून से लथपथ बच्ची को निजी अस्पताल ले जाया गया जहां पर उसके चेहरे पर करीब 15 टांके लगाने पड़े। 
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वहीं प्रशासन की लापरवाही से नाराज बच्ची के पिता ने अपना आपा खोते कहा कि अगर मेरी बच्ची को कुछ हुआ तो वह चौराहे पर खुद को आग लगाकर आत्मदाह कर लेंगे। फिलहाल बच्ची की हालत अभी स्थिर बताई जा रही है। जानकारी देते मुकेश कुमार ने बताया कि वह अपनी पत्नी और 5 साल की बेटी पीहू के साथ एक्टिवा पर किसी काम के लिए किशनपुरा की तरफ जा रहे थे। जैसे ही वह प्रीत नगर सोढल रोड पर स्थित सहगल ज्वैलर्स के पास पहुंचे तो अचानक एक्टिवा के आगे बैठी पीहू चिल्लाने लगी। उन्होंने समझा कि वह शरारत करते हुए शोर मचा रही है लेकिन जैसे ही उनके हाथ पर खून के छींटे गिरे तो उन्होंने तुरंत अपना एक्टिवा रोका और देखा कि पीहू का मासूम चेहरा खून से लथपथ हुआ पड़ा था। पीहू के चेहरे के पास ड्रैगन डोर लिपटी पड़ी थी। उन्होंने डोर को चेहरे से निकाला और खून से लथपथ हुई पीहू को नजदीकी क्लीनिक पर ले गए। वहां पर फर्स्ट एड न मिलने पर पीहू के पिता अपनी बच्ची को कुछ दूरी पर स्थित एक चैरिटेबल अस्पताल में ले गए लेकिन वहां पर डॉक्टर न होने का हवाला देकर उन्हें वापस भेज दिया गया।

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पीड़ित मुकेश अपनी बेटी को दोआबा चौक नजदीक एक निजी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया। बच्ची का चेहरा ड्रैगन डोर के कारण माथे और आंख के आसपास से बुरी तरह कट चुका था। उसके चेहरे पर करीब 15 टांके लगे हैं। हालांकि डॉक्टरों की माने तो बच्ची की आंखों का बचाव हो गया है, लेकिन पीड़ित बच्ची के पिता मुकेश ने कहा कि अगर उनकी बच्ची को कुछ हुआ तो वह खुद को चौराहे पर खड़ा करके आग लगा जान दे देंगे।उन्होंने प्रशासन पर भी गुस्सा निकालते कहा कि अगर ड्रैगन डोर पर प्रतिबंध है तो उसे इस तरह सरेआम कैसे बेचा जा सकता है। इसके पीछे पुलिस की भी उन्होंने बड़ी लापरवाही बताई। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा केस सामने आने के बाद स्थानीय पार्षद तक अस्पताल में उनकी बच्ची का हाल जानने नहीं आया। उन्होंने कहा कि ड्रैगन डोर अब उनके बच्चों की जान की दुश्मन बन चुकी है जिस को पूरी तरह से बंद करवाने के लिए आम लोगों को सामने आना चाहिए ताकि उनकी तरह कोई और माता-पिता ड्रैगन डोर के कारण अपने बच्चे को खून से लथपथ हालत में न देख सके। प्राइवेट जॉब करने वाले मुकेश कुमार ने शहरवासियों से डोर की बिक्री को बंद करवाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।

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बता दें कि 2 दिन पहले ही झांसी कॉलोनी में भी पतंग निकलते हुए मासूम अंकुश हाईवोल्टेज तारों की चपेट में आ गया था जिसकी इलाज दौरान मौत हो गई थी। हालांकि पुलिस का कहना था कि बच्चे को ड्रैगन डोर के कारण नही बल्कि रॉड से पतंग निकलाते हुए करंट लगा लेकिन उस पतंग में ड्रैगन डोर थी। इस हादसे में दूसरा बच्चा भी झुलस गया था। हैरान कर देने वाली यह बात है कि खबरें प्रकाशित होने के बावजूद कमिश्नरेट पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से ड्रैगन डोर को बंद करवाने में विफल साबित हुआ और इस समय भी शहर में ड्रैगन डोर की बिक्री हो रही है। हाल ही में पंजाब केसरी ने खबर प्रकाशित कर के शहर में बिक रही ड्रैगन डोर के खिलाफ आवाज उठाई थी लेकिन पुलिस की आंखों से तब भी पर्दा नहीं उठा जिसके कारण शहर के बच्चों की जिंदगी खतरे के साये में आ चुकी है।

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