कोरोना संकट: बस अड्डों पर ऐसे हालात न सुधरे तो परिचालन पर लग सकती है Break

Edited By Tania pathak,Updated: 23 Apr, 2021 01:32 PM

corona crisis conditions worsens at bus stands

कोरोना का प्रकोप मौत बनकर मंडरा रहा है और रोजाना कई लोग काल का ग्रास बन रहे हैं।

जालंधर (पुनीत): कोरोना का प्रकोप मौत बनकर मंडरा रहा है और रोजाना कई लोग काल का ग्रास बन रहे हैं। हालातों पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा सख्ती बढ़ाने की बातें कही जा रही हैं जबकि असल में हकीकत यह है कि बस अड्डे में सरकार के नियमों की ढंग से पालना नहीं हो पा रही। अधिकारियों की लापरवाही के चलते अनमोल जिंदगियां जोखिम में सफर कर रही हैं।

सोशल डिस्टैंस की पालना करवाने के लिए सरकार द्वारा बसों में 50 प्रतिशत यात्रियों के सफर करने का नियम बनाया गया है लेकिन पंजाब में बस अड्डों के हालात काबू से बाहर हो रहे हैं। इन हालातों पर समय रहते कंट्रोल न किया गया तो इस नाजुक परिस्थिति में सरकार द्वारा बसों के परिचालन पर ब्रेक लगाई जा सकती है। पिछली बार भी जब कोरोना का प्रकोप बढ़ा था तो सरकार ने बसों का परिचालन रोक दिया था, जिसके चलते यात्रियों को खासी परेशानियां उठानी पड़ी थीं। जानकार कहते हैं कि अधिकारियों द्वारा गंभीरता न दिखाने के चलते बस अड्डों में सोशल डिस्टैंस बिल्कुल नहीं है। भारी भीड़ जगह-जगह देखने को मिल रही है। बसों का इंतजार कर रहे लोगों को सोशल डिस्टैंस में बैठाने का भी कोई प्रबंध नहीं है।

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टिकट काटने वाले काऊंटरों पर लोगों की बेतहाशा भीड़ दिखाई पड़ती है। लोग बिना किसी डिस्टैंस के काऊंटर के चारों तरफ खड़े होकर टिकटें लेते हैं जबकि आवश्यकता है कि टिकट देने के लिए लाइन लगाई जाए और लोगों में डिस्टैंस बनाया जाए। बस अड्डे में रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारी नजर नहीं आते और नियमों का उल्लंघन खुलकर होता है। कई बसों के अन्दर यात्रियों को एक सीट छोड़कर बैठाया जा रहा है जोकि अच्छी बात है। जानकार कहते हैं कि यह सख्ती भी मात्र चालान के डर से होती है। उनका कहना है कि बस अड्डे में लोगों की भीड़ रहती है जिससे सोशल डिस्टैंस टूट जाता है, इस प्रति ध्यान देना चाहिए।

वहीं, देखने में आ रहा है कि बसों में चढ़ने वाले लोगों में भी सोशल डिस्टैंस नहीं होता। सरकारी बसों में लोगों को धक्का-मुक्की करके प्रवेश करते हुए देखा जा सकता है। मास्क की बात करें तो इन नाजुक हालातों में भी कई लोग बिना मास्क के घूमते हुए देखने को मिल जाते हैं।

दिल्ली-हरियाणा जाने वाले यात्रियों की संख्या में गिरावट
दूसरे राज्यों में जाने वाले यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज हुई है। राजधानी दिल्ली में लाकडाऊन की वजह से लोग बेहद कम संख्या में दिल्ली जा रहे हैं जिसके चलते बसों में सीटें खाली देखने को मिल रही हैं। हरियाणा सरकार द्वारा भी सख्ती कर दी गई है जिसके चलते शाम के समय हरियाणा जाने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज हुई है। वहीं, राजस्थान के लिए सुबह चलने वाली बसों में उम्मीद से बेहद कम यात्री देखने को मिल रहे हैं। उत्तराखंड के लिए भी यात्रियों की तादाद कम हुई है। वहीं, दूसरे राज्यों से पंजाब आने वाली बसों को भी यात्री नहीं मिल रहे। इस गिरावट के कारण दूसरे राज्यों द्वारा पंजाब में बसों के परिचालन को कम कर दिया गया है।

हिमाचल में मन्दिरों में जाने पर रोक लेकिन 50 प्रतिशत की पाबंदी के साथ सफर चालू
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा हिमाचल की बसों के साथ-साथ बाहरी राज्यों से आने वाली बसों में 50 प्रतिशत यात्रियों के सफर करने का नया कानून बनाया गया है। जालंधर डिपो के अधिकारियों का कहना है कि हिमाचल के मन्दिरों में लोगों के दर्शन पर रोक लगा दी गई है, लेकिन हिमाचल जाने वाली बसों का परिचालन अभी चालू है। इस क्रम चिंतपूर्णी व ज्वाला जी के लिए सुबह 7.05, 8.26 व 9.45 पर बसें रवाना होंगी। धर्मशाला के लिए चलने वाली बस सुबह 11.35 जबकि शिमला के लिए सुबह 7.30 व 11.14 व शाहतलाई के लिए 11.30 बस रवाना होगी।

बसों में भागकर चढ़ रहे यात्री दे रहे हादसों को निमंत्रण
यात्री बसों में चढ़ते वक्त जान जोखिम में डालने से भी नहीं कतराते। आज देखने में आया कि बस काऊंटर से निकल चुकी थी और बस अड्डे से बाहर निकल रही थी और यात्री उसमें भागकर चढ़ने लगे। इस दौरान कंडक्टर ने समझ दिखाते हुए बस को रोक लिया और यात्रियों को बस में चढ़ाया, यदि बस को न रोका जाता तो कई लोग हादसे का शिकार हो सकते थे। कंडक्टरों का कहना है कि लोगों को खुद ध्यान रखना चाहिए क्योंकि चलती बस में चढ़ना हानिकारक साबित हो सकता है।

बिना सुरक्षा के काम करती है लेबर
बस अड्डे में आज देखने में आया कि बैंक की ए.टी.एम. मशीन वाले कमरे में रिपेयर इत्यादि का काम चल रहा था लेकिन लेबर बिना सुरक्षा के काम कर रही थी। भारी सामान कमरे की छत पर जाने वाली लेबर के लिए सुरक्षा बैल्ट इत्यादि नहीं थी जिसके चलते गिरने का डर था। इस प्रति ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि कोई हादसा होने से किसी को चोट न लगे।

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