Edited By Tania pathak,Updated: 27 Jul, 2020 03:22 PM
कई लोगों का मानना है कि खेती वह लोग करते हैं, जो पढ़े -लिखे नहीं होते परन्तु गुरबीर नॉन -मेडिकल की पढ़ाई कर चुकी है और उसने कृषि करते हुए अपनी चार बहनों और एक भाई का ख़र्च भी उठाया और उनको पढ़ाया...
मोगा (विपन): खेतों में काम करने वाले मज़दूरों को गृहिणियां रोटी बना कर देती हैं और बाकी घर के काम करती परन्तु मोगा की 45 वर्षीय गुरबीर कौर सिर्फ़ रोटियां ही नहीं पकाती, बल्कि खेतों में खुद काम करती है। गुरबीर कौर ऐसी सफल किसान बन चुकी है, जिससे हर किसी को सीख लेने की ज़रूरत है। गुरबीर कौर का परिवार पाकिस्तान से आया था, जहाँ उनका परिवार काफी ज्यादा जमीन का मालिक था।
भारत आकर चाहे उनको मोगा के झंडेयाना में उतनी ज़मीन नहीं मिली परन्तु ज़मीन की अपेक्षा उनका मोह न टूटा और वह यहाँ भी खेती करने लगे। बचपन से ही गुरबीर ने पिता के साथ खेत में काम करना शुरू कर दिया। गुरबीर ने अपने पिता के साथ मिल कर टिब्बों वाली ज़मीन को खेत बनाया और अब वह एक सफल किसान है। गुरबीर का कहना है कि मेहनत के साथ सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
कई लोगों का मानना है कि खेती वह लोग करते हैं, जो पढ़े -लिखे नहीं होते परन्तु गुरबीर नॉन -मेडिकल की पढ़ाई कर चुकी है और उसने कृषि करते हुए अपनी चार बहनों और एक भाई का ख़र्च भी उठाया और उनको पढ़ाया। गुरबीर कौर ने कृषि के काम की सारी ज़िम्मेदारी ख़ुद ले ली। इस तरह अपने परिवार की ज़िम्मेदारी संभाल गुरबीर एक सफल किसान बन गई।
गुरबीर कौर उन लोगों के मुँह पर भी एक थप्पड़ है, जो सोचते हैं कि खेती अनपढ़ों का धंधा होता है या फिर सिर्फ़ पुरुष ही यह काम करते हैं। समाज को बदलने के लिए हर समय पर हाथ में कलम होनी ज़रूरी नहीं, कई लोग विपरीत परिस्थितियों में भी समाज को बदलने का हौसला रखते हैं।