सिटी सैंटर मामले में कैप्टन को नामजद करने वाले विजीलैंस के पूर्व SSP ने अपनी जान को बताया खतरा

Edited By Vatika,Updated: 18 Jul, 2018 01:20 PM

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बहुचर्चित लुधियाना के सिटी सैंटर मामले में आज उस समय एक नया मोड़ आ गया जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने वाले विजीलैंस पुलिस के पूर्व एस.एस.पी. कवलजीत सिंह संधू ने आज जिला एवं सैशन जज गुरबीर सिंह की अदालत में एक अर्जी दायर कर अपनी सुरक्षा की गुहार...

लुधियाना(मेहरा): बहुचर्चित लुधियाना के सिटी सैंटर मामले में आज उस समय एक नया मोड़ आ गया जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने वाले विजीलैंस पुलिस के पूर्व एस.एस.पी. कवलजीत सिंह संधू ने आज जिला एवं सैशन जज गुरबीर सिंह की अदालत में एक अर्जी दायर कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई। पूर्व जिला पुलिस प्रमुख संधू मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के विरुद्ध सिटी सैंटर का मामला दर्ज करने वाले तत्कालीन विजीलैंस प्रमुख थे और इस मामले में वह शिकायतकत्र्ता भी हैं।
 

हालांकि विजीलैंस ब्यूरो ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह सहित अन्यों के विरुद्ध सिटी सैंटर मामले को रद्द करवाने के लिए अदालत में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल कर रखी है, जिस पर अदालत में अभी सुनवाई लंबित है और दोनों पक्षों की तरफ से अपनी-अपनी बहस की जानी बाकी है। संधू ने अपनी अर्जी में बकायदा अदालत से आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व अन्यों के खिलाफ अदालत में सिटी सैंटर मामले को रद्द करवाने के लिए विजीलैंस द्वारा दाखिल की गई कैंसिलेशन रिपोर्ट पर कोई भी फैसला करने से पूर्व उनको भी सुना जाए और रिपोर्ट के साथ लगाए गए दस्तावेजों की कॉपी उन्हें उपलब्ध करवाई जाए। संधू ने अदालत से आग्रह किया है कि उनकी जान-माल की सुरक्षा को लेकर भी उचित निर्देश जारी किए जाएं, क्यंूकि उनके ऊपर झूठे मामले डालने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। 

पूर्व जिला पुलिस प्रमुख संधू ने अपनी अर्जी में कहा कि वह जुलाई 2010 में विभाग से सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन इससे पहले उन्होंने बतौर विजीलैंस जिला पुलिस प्रमुख उपरोक्त मामला सामने आने पर ईमानदारी से अपने पद का निर्वाह करते हुए सभी सबूत इकट्ठा करके उपरोक्त मामला दर्ज किया था। उन्होंने बिना किसी दबाव के जांच करने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को नामजद किया था। संधू ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पिछली सरकार के दौरान प्रकाश सिंह बादल व अन्यों के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की सरकार आते ही तमाम गवाह मुकर गए, जिसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व अन्य अदालत से बरी हो गए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सरकार आने के बाद सिटी सैंटर मामले में कैप्टन अमरेंद्र सिंह को नामजद किया था। संधू ने आरोप लगाया कि आम लोगों की धारणा है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह आपस में मिले हुए हैं और इसीके चलते मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपनी सरकार के दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के विरुद्ध उपरोक्त मामला रद्द करवाने के लिए कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार करने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। 

कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल होने के बाद से किया जा रहा प्रताडि़त 
संधू ने आरोप लगाया कि उपरोक्त कैंसिलेशन रिपोर्ट अदालत में दाखिल होने के बाद से ही उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है और उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह उपरोक्त मामले में सरकार का सहयोग करें और कैंसिलेशन रिपोर्ट को मंजूर करवाने के लिए अपना सहयोग दें। संधू ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया कि सिटी सैंटर मामले की जांच के दौरान उनके सहयोगी रहे सुरजीत सिंह ग्रेवाल को भी इसी कारण प्रताडि़त किया गया और मना करने पर उसके विरुद्ध झूठा मामला दर्ज किया गया है।संधू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर आरोप लगाया कि दोनों आपस में मिले हुए हैं और अपने निजी स्वार्थ के लिए वे अब पूर्व सरकारी अधिकारियों को डरा-धमका रहे हैं। आरोप है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह जिनके पास होम डिपार्टमैंट और प्रॉसिक्यूशन है मामले को खत्म करवाने की कोशिश कर रहे हैं।

उनके मुताबिक उन्हें झूठे मामले में फंसाने का डर दिखाकर अपने हक में बयान देने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि लुधियाना के तत्कालीन विजीलैंस एस.एस. ग्रेवाल को पटियाला में थर्ड डिग्री टॉर्चर कर प्रताडि़त किया गया है। संधू ने आरोप लगाया कि उन्हें विभिन्न माध्यमों से धमकाया जा रहा है कि अगर सिटी सैंटर मामले में दायर कैंसिलेशन रिपोर्ट को लेकर अदालत की तरफ से उन्हें कोई नोटिस दिया जाता है तो वह अदालत में पेश होकर कैंसिलेशन रिपोर्ट को मंजूर करवाने के लिए अपनी मदद दें, लेकिन उनके द्वारा मना किए जाने के चलते उन्हें कहा जा रहा है कि विभिन्न झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा और उनकी जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि कानून मुताबिक अगर अदालत में मामले को रद्द करने के लिए कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की जाती है तो अदालत द्वारा शिकायतकत्र्ता को नोटिस जारी किया जाता है जो उन्हें अभी तक नहीं मिला है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि रिपोर्ट पर कोई फैसला करने से पहले उनको बकायदा सुना जाए और तब तक उनकी जान-माल की रक्षा करने के लिए उचित निर्देश जारी किए जाएं। संधू की अर्जी पर सुनवाई 18 जुलाई को जिला एवं सैशन जज गुरबीर सिंह की अदालत में होगी।

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