डाटा एंट्री आप्रेटरों के हवाले ट्रैफिक पुलिस चालान भुगतने के कमरों की कमान

Edited By Sunita sarangal,Updated: 25 Feb, 2020 10:26 AM

command for paying traffic police challans handed over to data entry operators

दोनों आप्रेटरों ने सहयोग को रखे हैं कई प्राइवेट कारिंदे, दफ्तर में एजैंट राज हो रहा हावी

जालंधर(चोपड़ा): आर.टी.ओ. में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें इस कदर गहरी हो चुकी हैं कि वहां आने वाली जनता को हरेक तरह का विभागीय काम करवाने के लिए एजैंटों का सहारा लेना पड़ता है अन्यथा उन्हें कई-कई दिनों तक आर.टी.ओ. दफ्तर के धक्के खाने को मजबूर किया जाता है। 

भ्रष्टाचार का बड़ा खेल ट्रैफिक चालान वाली खिड़कियों पर भी खेला जाता है जहां रोजाना आने वाले सैंकड़ों लोगों में से दर्जनों लोगों को केवल इस कारण बिना चालान भुगते हुए वापस लौटना पड़ता है जब उन्हें खिड़की पर तैनात कर्मचारी व प्राइवेट कारिंदे से रटारटाया जवाब मिलता है कि उनके चालान ट्रैफिक पुलिस व विभिन्न पुलिस थानों से आर.टी.ओ. में नहीं पहुंचे हैं। लंबी कतारों में घंटों खड़े रहने को मजबूर लोग जब थक-हार कर किसी एजैंट का सहारा लेते हैं तो काम चंद मिनटों में निपट जाता है। डाटा एंट्री आप्रेटरों के हवाले ट्रैफिक चालान भुगतने के कमरों की कमान सौंपने से दफ्तर में एजैंटों का राज कायम होता जा रहा है। 

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हैरानीजनक है कि इन दोनों कमरों का इंचार्ज आर.टी.ओ. में एक सोसायटी के माध्यम से रखे डाटा एंट्री आप्रेटरों के हवाले कर रखा है। एक कमरा जिसमें थाना पुलिस द्वारा काटे गए ट्रैफिक चालानों को भुगतने का काम होता है, का प्रभार प्राइवेट डाटा एंट्री आप्रेटर बंटी को सौंप रखा है, जबकि दूसरे कमरा जहां ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटे चालानों का जुर्माना वसूला जाता है, का इंचार्ज डाटा एंट्री आप्रेटर कुलदीप कौर को बना रखा है। यह सारा खेल आर.टी.ओ. अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। वहीं एजैंटों की तरफ से वाहन चालकों को उनके दस्तावेज घर तक पहुंचाने के प्रपोजल मिलते हैं, जिसके बदले उनसे जुर्माने के अलावा खासी रकम रिश्वत के तौर पर वसूली जाती है। 

आर.टी.ओ. में अगर किसी का थाने से चालान न आया हो या वाहन की चालान नकल व दस्तावेज न मिल रहे हों तो चालान भुगतने की मोहलत बढ़ाने का अधिकार भी डाटा एंट्री आप्रेटरों के हाथ होता है। यह आप्रेटरों की मर्जी होती है कि वाहन चालक को अतिरिक्त कितने दिनों की मोहलत देता है। यहां तक कि उक्त आप्रेटर चालान रसीद के पीछे आर.टी.ओ. कार्यालय की मोहर लगा और खुद के साइन करके वाहन चालकों को 1-1 महीने तक की अतिरिक्त मोहलत दे देते हैं ताकि अगर इस दौरान पुलिस चैकिंग के दौरान उक्त चालक का वाहन रोका जाए तो वह आर.टी.ओ. कार्यालय की मोहर दिखा कर मिली मोहलत दिखा सकें। 

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हरेक चालान का फिक्स रेट 100 रुपए 
एजैंटों द्वारा खिड़की पर दिए जाने वाले हरेक चालान के फिक्स रेट 100 रुपए है जोकि जुर्माने के साथ ही वसूल लिया जाता है। हैरानीजक है कि विजीलैंस कार्यालय से चंद कदमों के दूर इतने बड़े स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार के खेल को अधिकारियों ने पूरी तरह से अनदेखा कर रखा है। पिछले वर्षों से आर.टी.ओ. में प्राइवेट कारिंदों व कर्मचारियों के खिलाफ विजीलैंस ने एक बार भी कार्रवाई नहीं की है। 

कमरों की खिड़कियों के शीशों को फाइल रखकर कर ढक दिया जाता 
आर.टी.ओ. में चालान भुगतने को बनाए दोनों कमरों में 5-5 खिड़कियां हैं परंतु लोगों के लिए केवल 1 या 2 खिड़कियों पर ही काम होता है। बाकी खिड़कियों के शीशों के समक्ष फाइलें रख कर ढक दिया जाता है। केवल खिड़की के माध्यम से ही दस्तावेज लेने व देने का काम होता है, जिस कारण चालान भुगतने को लंबी कतारें लगी रहती हैं। वहीं जैसे ही एजैंट अपने द्वारा एकत्रित चालान खिड़की के रास्ते पकड़ाते हैं तो तुरंत अंदर बैठे कारिंदे कार्रवाई को अंजाम देकर सभी चालान बाहर खड़े एजैंट को दे देते हैं। इसके अलावा आर.टी.ओ. कार्यालय के कमरे के माध्यम से भी कई दबंग एजैंट सीधे कमरे में घुसे रहते हैं। 

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