अकाली दल ने पार्टी की जड़ों को मजबूत करने वाले नेताओं को किया नजरअंदाज

Edited By Urmila,Updated: 09 Dec, 2021 03:15 PM

the akali dal ignored the leaders who were strengthening the party s roots

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की तरफ से एक तरफ तो सत्ता में आने पर दलित नेता को उपमुख्यमंत्री का पद देकर आदर दिए जाने की बात कही जा रही है परन्तु दूसरी तरफ अपनी पार्टी के दलित नेताओं को भूलता जा रहा है...

चंडीगढ़ (टक्कर): शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की तरफ से एक तरफ तो सत्ता में आने पर दलित नेता को उपमुख्यमंत्री का पद देकर आदर दिए जाने की बात कही जा रही है परन्तु दूसरी तरफ अपनी पार्टी के दलित नेताओं को भूलता जा रहा है, जिसमें टकसाली अकाली परिवार चरणजीत सिंह अटवाल, उनका सुपुत्र इंद्र इकबाल सिंह अटवाल और पार्टी के ही नेता पूर्व मंत्री ईशर सिंह मेहरबान के नाम आजकल लोगों की जुबान पर हैं। शिरोमणि अकाली दल में पहले ही टकसाली अकाली परिवार जोकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नजदीकी थे, जिनमें सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी प्रधान की नीतियों से तंग आकर नई पार्टी बनाने के लिए और इसके अलावा स्व. रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा और स्व. सेवा सिंह सेखवां पहले ही पार्टी छोड़ चुके थे।

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शिरोमणि अकाली दल में इस समय सबसे पुराने टकसाली अकाली और दलित भाईचारों का बड़ा चेहरा चरणजीत सिंह अटवाल हैं परन्तु उनको इस बार विधानसभा मतदान से पहले अकाली हाईकमान की तरफ से बिल्कुल अनदेखा कर दिया गया। इसके अंतर्गत न ही अटवाल और न ही उनके सुपुत्र इंद्र इकबाल सिंह अटवाल को किसी भी हलके से टिकट दी। बेशक शिरोमणि अकाली दल की तरफ से बसपा के साथ गठजोड़ कर दलित वोट को अपने तरफ खींचने की कोशिश की है परन्तु अपनी ही पार्टी के सीनियर नेता चरणजीत सिंह अटवाल को अनदेखा करने के बाद संबंधित भाईचारे और उनके समर्थकों में भारी निराशा देखने को मिल रही है कि एक सीनियर नेता जिसने अपनी सारी जिंदगी पार्टी के लेखे लगा दी परन्तु आज अकाली दल पार्टी की जड़ें को मजबूत करने वाले नेताओं को आंखों से अदृश्य कर नए सरमाएदारों को आगे लेकर आ रही है।

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अटवाल परिवार को अकाली हाईकमान की तरफ से अनदेखा करने के बाद चर्चाएं जोरों पर थी कि यह टकसाली दलित नेता जिसने कि पुराने समय में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अकाली दल का डट कर साथ दिया। अब के हालात को देखते किसी अन्य पार्टी में जा सकते हैं परन्तु अभी तक इस परिवार की तरफ से अन्य पार्टी में शामिल होने संबंधित खुल कर नहीं कहा जा रहा। अटवाल के अलावा कुछ वर्ष पहले कांग्रेस पार्टी छोड़ कर आए पूर्व मंत्री ईशर सिंह मेहरबान भी जिनको हलका पायल का इंचार्ज लगाया हुआ था, जिन्होंने यह सीट बसपा के खाते जाने के बाद हलके की नुमाइंदगी के तौर पर संभाली सेवा से इस्तीफा दे दिया। ईशर सिंह मेहरबान भी हलका कूंमकलां, जगराओं और पायल से चुनाव लड़ चुके हैं और दलित भाईचारों में उनकी अच्छी पहचान है परन्तु यह भी पार्टी की तरफ से नजरअंदाज करने के कारण इनको किसी हलके से भी टिकट नहीं दी गई। शिरोमणि अकाली दल की तरफ से अपनी ही पार्टी के बड़े दलित चेहरों को यदि न संभाला गया तो उनको आने वाली विधानसभा मतदान में इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।

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