Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 09:17 AM
घर-घर आकर वोट मांगने वाले नेताओं का कई स्थानों पर विरोध होता है लेकिन उम्मीदवार के प्रति गुस्सा होने के बावजूद अधिकतर वोटर घर आए उम्मीदवार का विरोध नहीं करते क्योंकि वह अपना विरोध मतदान करके साबित करना चाहते हैं। निगम चुनावों में एक सप्ताह शेष है और...
जालंधर (पुनीत): घर-घर आकर वोट मांगने वाले नेताओं का कई स्थानों पर विरोध होता है लेकिन उम्मीदवार के प्रति गुस्सा होने के बावजूद अधिकतर वोटर घर आए उम्मीदवार का विरोध नहीं करते क्योंकि वह अपना विरोध मतदान करके साबित करना चाहते हैं। निगम चुनावों में एक सप्ताह शेष है और हर तरफ चुनावी चर्चा हो रही है।
चर्चा की शुरुआत होती है उम्मीदवार से। हर कोई यही पूछता है कि किसका पलड़ा भारी है, इस बार कौन जीतेगा। हर व्यक्ति अपना पक्ष रखता है और जीत के संभावित उम्मीदवार की जीत के कारणों को बताता है। इस चर्चा में सबसे अहम बात होती है कि पिछली बार विजयी उम्मीदवार ने क्या वायदे किए थे। गुरिन्द्रपाल सिंह कहते हैं कि पिछली बार चुनावी वायदे पूरे न करने वालों की इस बार अग्नि परीक्षा होगी क्योंकि जनता मुंह पर भले ही कुछ नहीं कहती है लेकिन जनता को सब कुछ याद है। पाल ने कहा कि अगले रविवार को नतीजे सामने आएंगे और वायदे पूरे न करने वालों को मुंह की खानी पड़ेगी। सौरभ मेहता ने कहा कि चुनावों में टिकट न मिलने से नाराज चल रहे बागियों को यदि कोई उम्मीदवार अपनी पार्टी में ज्वाइन करवाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी जीत पक्की है। मेहता ने कहा कि चुनावों में दूसरी पार्टी के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना आजकल आम बात हो गई है जिससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता।
ओपिंद्र कुमार ने कहा कि इस बार हुई नई वार्डबंदी के कारण उम्मीदवार इधर-उधर हुए हैं जबकि कइयों ने खुद ही अपना वार्ड इसलिए बदल लिया क्योंकि उन्हें पता था कि इस बार उनकी दाल उनके वार्ड में नहीं गलेगी। कुमार ने कहा कि ऐेसे नेताओं को भी जमीनी हकीकत रिजल्ट के बाद पता चल जाएगी। संजय व रोहन कहते हैं कि चुनावों में जनता अपने पत्ते वोटिंग वाले दिन खोलती है और कई बार ऐसे नतीजे सामने आते हैं जैसा किसी ने सोचा भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि जनता इस बार नए चेहरों पर दाव खेलना चाहती है क्योंकि पिछली बार के कई उम्मीदवारों ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेरा है।