Edited By Kalash,Updated: 07 Dec, 2021 10:19 AM

कांग्रेस हाईकमान द्वारा पंजाब विधानसभा चुनावों को लेकर सक्रियता के साथ आगे आने के बाद अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या हाईकमान चुनावी जंग में मुख्यमंत्री चरणजीत
जालंधर (धवन): कांग्रेस हाईकमान द्वारा पंजाब विधानसभा चुनावों को लेकर सक्रियता के साथ आगे आने के बाद अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या हाईकमान चुनावी जंग में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू तथा पंजाब चुनाव प्रचार समिति के नए चेयरमैन सुनील जाखड़ तीनों चेहरों के साथ उतरेगा।
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कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस हाईकमान विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद के मुद्दे को लेकर किसी भी प्रकार के विवाद में पडऩे से बचेगा। संभवत: मुख्यमंत्री पद का मुद्दा खाली छोड़ा जा सकता है तथा तीनों वर्गों के नेताओं चन्नी, सिद्धू व जाखड़ के साथ चुनावी मैदान में पार्टी का अभियान चलाया जा सकता है। दलित समुदाय की ओर से चन्नी आगे रहेंगे, जाट समुदाय की ओर से नवजोत सिद्धू तथा हिन्दू समुदाय की ओर से सुनील जाखड़ आगे रहेंगे। ये तीनों वर्ग परम्परागत रूप से कांग्रेस का वोट बैंक रहे हैं। कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि अगर विधानसभा चुनाव से पहले किसी एक नेता का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया जाता है तो उससे कांग्रेस के अंदर गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी। इस स्थिति से कांग्रेस हाईकमान बचना चाहता है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में केवल उपरोक्त तीनों नेता ही नहीं रहेंगे बल्कि इनके अलावा भी हिन्दू तथा जाट सिख समुदाय से एक-एक अन्य नेता का नाम भी आगे आ रहा है। जाट समुदाय की ओर से सुखजिंद्र रंधावा का नाम भी मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा में चलता रहेगा। इसी तरह से हिन्दू समुदाय की ओर से उपमुख्यमंत्री ओ.पी. सोनी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहेंगे। चाहे दावेदारों की गिनती काफी अधिक है परंतु फिर भी अंतिम निर्णय तो चुनावी नतीजे आने के बाद ही लिया जाएगा।
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