Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 09:36 AM
अमावस की काली रात को भारत में दीवाली युगों- युगों से बड़े ही उत्साह से मनाई जाती है लेकिन समय बीतने के साथ-साथ इस त्यौहार को मनाने के लिए पटाखे फोडऩे का प्रचलन शुरू हो गया।
जालंधर(राज): अमावस की काली रात को भारत में दीवाली युगों- युगों से बड़े ही उत्साह से मनाई जाती है लेकिन समय बीतने के साथ-साथ इस त्यौहार को मनाने के लिए पटाखे फोडऩे का प्रचलन शुरू हो गया।
पटाखे फोडऩे से निकलने वाली गैसों से होते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने जहां लाइसैंस कम जारी किए, वहीं पटाखों को फोडऩे का समय भी निर्धारित कर दिया। इस एक दिन पटाखों को फोडऩे से निकलने वाले धुएं की मात्रा रोजाना शहर के अलग-अलग कूड़े के डम्पों को आग लगाने से उठने वाले धुएं से कम होती है।
जहरीले कूड़े के जलने से फैल रहे धुएं से लोगों के फेफड़ों पर बुरा दुष्प्रभाव पड़ रहा है। एक दिन की दीपावली से कई गुणा ज्यादा धुआं रोज फैला कर लोगों के स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है नगर निगम का कूड़ा। इस कूड़े के धुएं से लोग बीमार हो रहे हैं और नगर निगम व प्रशासन के किसी अधिकारी के कानों जूं तक नहीं रेंगती।