NASA ने जारी की तस्वीरें, पंजाब और हरियाणा में दर्शाए पराली जलाने के मामले

Edited By Vatika,Updated: 02 Nov, 2022 08:38 AM

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पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है।

नई दिल्ली: अपेक्षाकृत धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए जाने के मामले बढ़ने के बीच वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में आ जाने के कारण दिल्ली में मंगलवार को धुंध और धुएं की परत छाई रही और दृश्यता स्तर कम रहा। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' की उपग्रह से ली गई तस्वीरों में कई लाल निशान दिख रहे हैं, जो पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के मामलों को दर्शाते हैं। पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है।

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (ए.क्यू.आई.) मंगलवार को पूर्वाह्न 10 बजे 429 पर रहा, जबकि यह सोमवार को शाम 4 बजे 352 था। यदि ए.क्यू.आई. 400 से अधिक हो तो उसे 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है और इसके कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। शिकागो विश्वविद्यालय (ई.पी.आई.सी.) के ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (ए. क्यू. एल.आई.) के अनुसार, खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल्ली वासियों की जीवन प्रत्याशा 10 साल कम होने की आशंका है बुराड़ी क्रॉसिंग (ए. क्यू. आई. 477), बवाना ( 465 ), वजीरपुर (467), नरेला ( 465 ), विवेक विहार (457), रोहिणी (462), जहांगीरपुरी (475), सोनिया विहार (469) और अशोक विहार ( 465 ) में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) के अनुसार, कई क्षेत्रों में पी. एम. 2.5 यानी फेफड़ों को नुक्सान पहुंचा सकने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रही, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार जब 1 नवम्बर से 15 नवम्बर के बीच पराली  जलाए जाने की घटनाएं चरम पर होती हैं, तब राजधानी में लोग सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी.) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह धुंध की मोटी. परत के कारण सफदरजंग हवाई अड्डे पर दृश्यता 600 मीटर और पालम हवाई अड्डे पर 900 मीटर रह गई। स्काईमेट वैदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि हवा की धीमी गति और रात में कम तापमान के कारण प्रदूषकों का संचय हो रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण 4 नवम्बर से नमी बढ़ सकती है तथा हवा की गति और कम हो सकती है।

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