Edited By swetha,Updated: 01 Apr, 2020 12:54 PM
पंजाब सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस के संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों के उपचार की पूरी व्यवस्था के दावे कर रही है,
लुधियानाः पंजाब सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस के संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों के उपचार की पूरी व्यवस्था के दावे कर रही है, परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अमरपुरा की रहने वाली महिला की कोरोना से मौत होने के बाद सरकारी अस्पताल में सरकारी कुव्यवस्था का जो मामला सामने आया है। उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, महिला की तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उसे आइसोलेशन वार्ड में वैंटीलेटर न होने के कारण पटियाला रैफर कर दिया गया था। उसकी मौत के अगले ही दिन अब उसी सिविल अस्पताल से धूल फांक रहे चार वैंटीलेटर सी.एम.सी.एच. में शिफ्ट किए गए हैं।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह वैंटीलेटर पिछले साल अगस्त माह में अस्पताल को मिले थे। योजना थी कि आइसोलेशन वार्ड को आई.सी.यू. में तब्दील करने के बाद इनका इस्तेमाल किया जाएगा। पर न तो आइसोलेशन वार्ड आई.सी.यू. में तब्दील हुआ और न ही वैंटीलेटर इस्तेमाल हुए। कई बार सेहत विभाग के उच्च अधिकारियों से गुहार लगाए जाने के बावजूद इन्हें ऑपरेट करने के लिए ट्रेंड स्टाफ भी अस्पताल को उपलब्ध नहीं करवाया गया। लुधियाना के सिविल सर्जन डॉ. राजेश बग्गा का कहना है कि वैंटिलेटर सी.एम.सी.एच. में भेजे गए हैं। कोरोना के संदिग्ध और पॉजिटीव मरीजों को अब वहां बनाए गए आइसोलशन वार्ड में भेजा जाएगा। वहीं सी.एम.सी.एच. के डायरेक्टर विलियम भट्टी का कहना है कि वैंटीलेटर हमें मिल गए हैं, इन्हें चलाने के लिए तीन शिफ्टों में स्टाफ तैनात रहेगा, लेकिन सेहत विभाग ने अभी तक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं करवाया है।