Edited By Subhash Kapoor,Updated: 28 Oct, 2025 07:24 PM

डॉ. बी. आर. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर (एनआईटी जालंधर) में “इक्कीसवीं सदी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फाइव-जी और अन्य उभरती तकनीकों में क्षमता निर्माण एवं कौशल विकास” विषय पर एक जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई।
जालंधर : डॉ. बी. आर. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर (एनआईटी जालंधर) में “इक्कीसवीं सदी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फाइव-जी और अन्य उभरती तकनीकों में क्षमता निर्माण एवं कौशल विकास” विषय पर एक जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर 300 से अधिक छात्र, शिक्षक और शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम ने समावेशी तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। कार्यक्रम में डॉ. चंद्रशेखर कुमार, आईएएस, सचिव, सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। श्री श्रवण कुमार जतावट, आईएएस, उप सचिव, डिप्टी सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स विशिष्ट अतिथि रहे, जबकि प्रो. बिनोद कुमार कनौजिया, निदेशक, एनआईटी जालंधर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. ममता खोसला, नोडल अधिकारी मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स प्रोजेक्ट्स (एमओएमए) एवं डीन (इंडस्ट्री एंड इंटरनेशनल अफेयर्स) ने बताया कि फाइव-जी और साइबर सुरक्षा के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पूरी तरह कार्यशील हो चुके हैं, जबकि मोबाइल एप डेवलपमेंट, इलेक्ट्रिक वाहन और स्मार्ट क्लासरूम से जुड़े केंद्र शीघ्र पूर्ण होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी केंद्र उद्योग से संबंधित व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, जो अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए निशुल्क होगा। इससे एनआईटी जालंधर तकनीक आधारित सशक्तिकरण का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। प्रो. रोहित मेहरा, डीन (रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) ने संस्थान के बढ़ते सहयोगों और अनुसंधान आधारित नवाचार को बढ़ावा देने में उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
श्रीमती विम्मी भुल्लर, आईएएस, निदेशक, सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण एवं अल्पसंख्यक विभाग, पंजाब सरकार ने मंत्रालय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फाइव-जी जैसी नई तकनीकें अल्पसंख्यक युवाओं के कौशल विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। अपने संबोधन में प्रो. बिनोद कुमार कनौजिया, निदेशक, एनआईटी जालंधर ने कहा कि संस्थान का उद्देश्य केवल इंजीनियर तैयार करना नहीं, बल्कि ऐसे नवाचारकों को तैयार करना है जो समाज के परिवर्तन में तकनीक का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन (एसटीआई हब), विज्ञान ज्योति कार्यक्रम और प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमकेवीवाई) 4.0 जैसी योजनाएँ यह सुनिश्चित कर रही हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचें।
श्री श्रवण कुमार जतावट, आईएएस, ने कहा कि मंत्रालय अब पारंपरिक विकास योजनाओं से आगे बढ़कर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के अंतर्गत शिक्षा, तकनीक और नवाचार के नए अवसरों को प्रोत्साहित कर रहा है, जो “विकसित भारत” के विज़न से जुड़ा है। मुख्य अतिथि डॉ. चंद्रशेखर कुमार, आईएएस, ने अपने उद्बोधन में कहा, "यह सचमुच तकनीक का युग है। आने वाले पाँच वर्षों में कौन-सी नई खोजें होंगी, इसका अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन हमें खुद को बदलते समय के अनुरूप तैयार करना होगा।" उन्होंने आजीवन शिक्षा, स्टार्ट-अप को बढ़ावा और अटल इनोवेशन मिशन जैसी राष्ट्रीय पहलों का उल्लेख करते हुए युवाओं से उद्यमिता और अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
कार्यशाला के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फाइव-जी और साइबर सुरक्षा विषयों पर विशेषज्ञ सत्र आयोजित किए गए। एनआईटी जालंधर ने घोषणा की कि वह अपने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से अल्पसंख्यक छात्रों के लिए निःशुल्क प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करेगा, जिससे नई पीढ़ी को उभरती तकनीकों में प्रशिक्षित किया जा सकेगा।
