पत्नी को खर्चा देने के मामले में Highcourt का अहम फैसला, पढ़ें पूरी खबर

Edited By Vatika,Updated: 19 Oct, 2024 10:50 AM

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस आधार पर पत्नी को मासिक खर्च अदा करने से

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस आधार पर पत्नी को मासिक खर्च अदा करने से मना नहीं किया जा सकता कि वह नौकरी करने में सक्षम है और पति से मासिक भत्ता पाने के लिए नौकरी छोड़ दी है। यह साबित करना जरूरी है कि खर्च पाने के लिए नौकरी को छोड़ा गया था। हाईकोर्ट में फैमिली कोर्ट के आदेश को पति और पत्नी ने अलग-अलग याचिका दायर कर चुनौती दी थी।

पति की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पत्नी शिक्षित है और नौकरी करती रही है। ऐसे में मासिक खर्च की मांग नहीं कर सकती। इसके अलावा हाईकोर्ट को बताया गया था कि अब वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध में है तो इस तथ्य को देखते हुए भी मासिक खर्च के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ पत्नी की ओर से फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए 10 हजार रुपए मासिक खर्च, बच्चे के लिए 5 हजार रुपए और घर के किराए की अदायगी के आदेश में बदलाव करने  की मांग की गई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही माना। हाईकोर्ट ने कहा कि पति की इस दलील को नहीं मान सकते कि मासिक खर्च के लिए नौकरी करना छोड़ दिया हैं।

नाबालिग बच्चे की देखभाल के लिए छोड़ी थी नौकरी
महिला की ओर से यह साबित किया गया है कि उसने नाबालिग बच्चे की देखभाल में अधिक समय उपलब्ध रहने के लिए नौकरी छोड़ी थी। साथ ही महिला की ओर से फैमिली कोर्ट के आदेश में बदलाव की मांग को भी खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि पति की ओर से महिला और बच्चे के लिए 15 हजार रुपए मासिक दिए जा रहे हैं। इसके अलावा घर का किराया भी दिया जा रहा है। जब फैमिली कोर्ट ने घर का किराया देने का आदेश दिया था, तब वह 10 हजार रुपए था। अब 4 साल गुजर जाने के बाद किराया 15 हजार रुपए के आसपास पहुंच चुका है। आगे भी इसमें वार्षिक बढ़ोतरी होनी है।

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