Edited By Updated: 26 Nov, 2016 09:34 AM

दलित बहुल पंजाब में वाल्मीकि वोट हासिल करने के लिए सियासी पार्टियों में मारामारी वाली स्थिति पैदा हो गई है। सत्तापक्ष और विपक्ष के
जालंधर: दलित बहुल पंजाब में वाल्मीकि वोट हासिल करने के लिए सियासी पार्टियों में मारामारी वाली स्थिति पैदा हो गई है। सत्तापक्ष और विपक्ष के साथ-साथ राज्य की सियासत में पहली बार विधानसभा चुनाव-2017 लड़ रही आम आदमी पार्टी (आप) ने भी वाल्मीकि वोट बैंक पर खास फोकस किया है। वर्ष 2011 के सेन्सस के मुताबिक राज्य में वाल्मीकि समुदाय से जुड़ी आबादी 8,66,953 है और यह राज्य की कुल दलित आबादी 88,60,179 का करीब 10 प्रतिशत है। वाल्मीकि समुदाय का खासतौर पर दोआबा में अच्छा-खासा प्रभाव है और यह जालंधर जिले की कुछ सीटों के अलावा कपूरथला में भी प्रभाव रखता है।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद)
कपूरथला की जनरल सीट से वाल्मीकि समुदाय से संबंधित परमजीत सिंह पम्मा को मैदान में उतारा गया है। इसके अलावा भगवान वाल्मीकि जी की मूर्ति दर्शन यात्रा को पूरा सरकारी समर्थन मिल रहा है और पूरे राज्य में इस मूर्ति दर्शन यात्रा के जरिए इस समुदाय को सन्देश देने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस
यह समुदाय पारम्परिक रूप से कांग्रेस का वोट बैंक रहा है लेकिन पिछले 2 चुनावों में कांग्रेस को इस वर्ग का पूरा समर्थन नहीं मिला। लिहाजा पार्टी दोआबा की 3 रिजर्व सीटों पर वाल्मीकि उम्मीदवार उतारने की योजना पर काम कर रही है। पार्टी के भीतर से ही यह आवाज पूरे जोर-शोर से उठाई जा रही है। पार्टी नेताओं को लगता है कि ऐसा करने से पार्टी को दोआबा में मौजूद राज्य के करीब 50 प्रतिशत वाल्मीकि भाईचारे का वोट दोबारा हासिल हो सकता है।
आम आदमी पार्टी (आप)
पार्टी चिन्ह झाड़ू होने के कारण सफाई के काम में जुटे वाल्मीकि समुदाय के लोग खुद के साथ पार्टी का जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। पार्टी ने करतारपुर रिजर्व सीट से सफाई मजदूर यूनियन के अध्यक्ष रहे चंदन ग्रेवाल को मैदान में उतार कर दोआबा में वाल्मीकि समुदाय को सन्देश देने की कोशिश की है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ‘आप’ को जालंधर सीट से करीब 2.5 लाख वोट मिले थे और इनमें से एक बड़ा हिस्सा वाल्मीकि समुदाय के वोटरों का था। लिहाजा पार्टी अब इस वोट बैंक को गंभीरता से ले रही है।