Edited By Urmila,Updated: 24 Dec, 2025 11:54 AM
लोहड़ी का त्यौहार पास आते ही बाजारों में कातिल डोर (प्लास्टिक डोर) बिकने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
लुधियाना (राज): लोहड़ी का त्यौहार पास आते ही बाजारों में कातिल डोर (प्लास्टिक डोर) बिकने का सिलसिला शुरू हो जाता है। प्रतिबंध के बावजूद ये कातिल डोर सरेआम बाजारों में बिकती है। इस दफा पुलिस की भी सख्ती नजर नहीं आ रही है। अगर पुलिस कुछ सख्ती करती भी है तो सप्लायर या दुकानदार प्लास्टिक डोर बेचने का कोई न कोई ढंग ढूंढ ही लेते है।
अहम बात यह है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा प्लास्टिक डोर पर पाबंदी लगाई हुई है। एन.जी.टी. की पाबंदी के बाद इस डोर को बनाने वाली बड़ी कम्पनियां बंद हो चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग रुपयों के चक्कर में कातिल कहे जाने वाली इस डोर की चोरी-छिपे बेच रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस समय यह डोर राजस्थान और हरियाणा से आ रही है। हर साल इस कातिल डोर से इंसान घायल हो रहे हैं, इसके साथ ही पक्षियों के लिए भी खतरनाक है।
दरअसल, पंजाब केसरी की टीम ने आम ग्राहक बन कर शहर की अलग-अलग दुकानों में घुमकर प्लास्टिक डोर लेने की मांग की। तकरीबन लोगों ने टीम को देखकर प्लास्टिक डोर होने से मना कर दिया था। लेकिन, जब छोटे बच्चे को भेजा गया, तो कई लोग डोर देने को मान गए। फिर भी वह पूरा सर्तक थे, की कहीं कोई पुलिस वाले न हो। इस दौरान एक व्हाट्सएप नंबर मिला, जिस पर बच्चे से कॉल करवाकर एक गट्टू मंगवाया गया था। फिर उसने किसी ओर जगह बुला लिया। वहां पर एक्टिवा पर व्यक्ति पर आया। जिसने मफलर से अपना मुंह ढका हुआ था। उसने बच्चे के साथ बड़े व्यक्ति देखे और डर गया। फिर उसे अहसास दिलाया गया कि वह बच्चे के रिश्तेदार है।
एक्टिवा सवार के पास एक बैग था। उसके बैग के अंदर 4 से 5 गट्टू थे। वह एक्टिवा से उतरा नहीं, उसने एक्टिवा पर बैठे-बैठे ही एक गट्टू दिखाया। ‘पंजाब केसरी’ की टीम मोबाइल कैमरे से इसकी वीडियो बना रही थी। लेकिन, युवक को इसका शक हो गया था इसलिए उसने डोर वापस बैग में रखी और एक्टिवा स्टार्ट कर भाग निकला।
पुलिस की सख्ती के बाद बढ़ जाते हैं रेट
सप्लाई करने आए युवक ने एक गट्टू के 400 रुपए मांगे। जब टीम ने कहा कि यह बहुत ज्यादा है तो उसने कहा कि इससे कम में नहीं मिलेगा। उसने कहा कि पुलिस की बहुत ही सख्ताई है इसलिए पीछे से मॉल नहीं आ रहा है। इस करके उन्हें महंगा बेचना पड़ता है। पहले वह 300 में भी बेचते रहे हैं। अब लोहड़ी के नजदीक इन्हीं का रेट 800 से 1 हजार के करीब पहुंच जाएगा।
दुकानों पर नहीं रखते माल, आस-पास घरों एवं वाहनों में छुपाए होते हैं गट्टू
पता चला है कि पुलिस की सख्ताई के बाद दुकानदार अपनी दुकान के अंदर गट्टू नहीं रख रहे है। वह अपनी दुकान के आसपास अपने जानकारों के पास या अपने वाहनों में गट्टू छुपा कर रखते है। दरेसी में भी ऐसे ही एक व्यक्ति करता है। जब उनके पास कोई ग्राहक आता है, तो उसे अपनी बताई जगह पर बुलाते है, और वहीं पर उसे गट्टू देते है।
इन इलाकों में धड़ल्ले से बिक रहे प्लास्टिक डोर के गट्टू
दरेसी प्लास्टिक डोर का गढ़ माना जाता है, मगर इसके अलावा शहर में श्री संगला वाला शिवाला रोड, ट्रंक वाला बाजार, हैबोवाल, जनकपुरी, गणेश नगर, फील्ड गंज, शिवपुरी, शिवाजी नगर, जस्सियां रोड, सलेम टाबरी, बस्ती जोधेवाल, गिल रोड़ एवं शहर के कई ऐसे इलाके है, जहां पर डोर की ब्रिकी हो रही है।
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