Edited By Kalash,Updated: 22 Jun, 2022 05:29 PM
पंजाब सरकार की तरफ से कुछ वर्षों के बाद पंजाब के किसानों की वित्तीय हालत का जमीनी
लुधियाना (सलूजा): पंजाब सरकार की तरफ से कुछ वर्षों के बाद पंजाब के किसानों की वित्तीय हालत का जमीनी स्तर पर पता लगाने के लिए बकायदा एक सर्वेक्षण करवाया जाता है। जिसमें पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर के माहिरों की एक टीम होती है जो गांव-गांव जा कर इस बात का पता करती है कि किस गांव में कितने किसानों ने किस वजह से आत्म हत्या की है। यह टीम एक रिपोर्ट बना कर सरकार को सौंपती है।
इस टीम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 2000 से 2018 के समय दौरान पंजाब के 88 प्रतिशत किसानों ने भारी कर्ज के कारण आत्महत्या की। इस अवधि में 9291 मौतें हुई। माहिरों के मुताबिक 2015 में भारी कर्जे की वजह से 515 किसानों ने खुदकुशी की। यह कर्जा किसानों पर कॉटन की फसल के तबाह हो जाने की वजह से चढ़ा। यह सर्वेक्षण पंजाब के लुधियाना, बरनाला, बठिंडा, मानसा, मोगा व संगरूर से संबधित गांवों में किया गया। जिसमे सबसे अधिक संगरूर में 2506 किसानों, मानसा में 2098 और बठिंडा में 1956 किसानों ने खुदकुशी की। जबकि 2008 में सबसे अधिक 630 किसानों ने अपने जीवन का दुखदायी अंत कर लिया। एक अन्य सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि 2000 से 2015 के दौरान 16600 किसानों ने अलग अलग कारणों की वजह से खुदकुशी की। इसका मतलब यह हुआ कि एक वर्ष में 1000 किसानों ने खुदकुशी की।
खुदकुशी करने का कारण फीसदी दर
भारी कर्जा 87.69
परिवारिक विवाद 17.18
फसल का नुकसान 8.32
बीमारी व सेहत समस्या 6.27
बैंक द्वारा जमीन जब्त 3.63
कानूनी प्रक्रिया 0.22
साहूकारों/बैंकों द्वारा परेशान करना 0.22
अन्य 6.33
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