Edited By swetha,Updated: 04 Dec, 2019 10:53 AM
बिट्टू ने पूछा था अमित शाह से सवाल
चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बब्बर खालसा के आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा माफ नहीं किए जाने के बयान पर प्रतिक्रिया देते शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के इस कदम ने सिखों को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने कहा कि अकाली दल राजोआना को राहत सुनिश्चित करवाने की अपनी लड़ाई जारी रखेगा।
जल्द उच्चस्तरीय प्रतिमंडल मिलेगा गृह मंत्री से
एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही केंद्रीय गृह मंत्री से मिलेगा तथा अनुरोध करेगा कि राजोआना की मौत की सजा माफ कर दी जाए। सुखबीर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर दोहरा खेल खेला है। पंजाब सरकार ने तैयार की उन सिख कैदियों की सूची में राजोआना का नाम नहीं डाला था जो सजाएं पूरी करने के बाद जेलों में सड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि उन्होंने सजा माफी के लिए राजोआना के नाम की सिफारिश क्यों नहीं की?
बिट्टू ने पूछा था अमित शाह से सवाल
उल्लेखनीय है कि लुधियाना से कांग्रेसी सांसद तथा बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू ने संसद के दोनों सदनों में सोमवार को हुई चर्चा का हवाला देते हुए गृहमंत्री से सवाल किया था कि आपने बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा क्यों बदली। शाह ने हिन्दी में जवाब दिया कि कृपया मीडिया रिपोर्ट्स पर मत जाइए। कोई माफी नहीं दी गई।
पटियाला जेल में बंद है राजोआना
फिलहाल पटियाला केंद्रीय कारावास में बंद राजोआना इस मामले में मुख्य दोषी है। पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की विशेष अदालत ने 1 अगस्त, 2007 को फांसी की सजा सुनाई थी और उसे 31 मार्च, 2012 को फांसी दी जानी थी। इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा दायर क्षमा याचिका के बाद 28 मार्च, 2012 को गृह मंत्रालय ने उसकी मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। गृह मंत्रालय ने इसी महीने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर मानवीय आधार पर राजोआना की मौत की सजा घटाकर आजीवन कारावास में बदलने का फैसला किया था जिसकी बिट्टू ने आलोचना की थी। गृह मंत्रालय ने इस अवसर पर राजोआना के साथ-साथ देशभर में बंद 8 अन्य सिख कैदियों को भी विशेष छूट दी थी।
1995 में आत्मघाती हमले में मारे गए थे बेअंत सिंह
चंडीगढ़ स्थित सिविल सैक्रेटरिएट में 31 अगस्त, 1995 को आत्मघाती हमले में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। राजोआना ने बेअंत सिंह की हत्या के लिए 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को कारण बताया था।