पंजाब में फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर बड़ा घोटाला, की गई कड़ी कार्रवाई

Edited By Kalash,Updated: 19 Mar, 2025 01:28 PM

scam related to fake certificate in punjab

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के नाम पर फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करने का बड़ा घोटाला सामने आया है।

मोहाली (रणबीर): पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के नाम पर फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करने का बड़ा घोटाला सामने आया है। फेज-8 थाना पुलिस ने मामले की जांच कर कुल 4 लोगों अजय कुमार, कुलदीप सिंह, किशन सिंह और बोर्ड कर्मचारी अवनिंदर पाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस को मामले की जांच के दौरान और भी खुलासे होने की उम्मीद है। एस.एस. पी. मोहाली को दी गई अपनी शिकायत में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के सहायक सचिव ने बताया कि पंजाब फार्मेसी काउंसिल द्वारा यह मामला शिक्षा बोर्ड के संज्ञान में लाया गया था, जिसके तहत फार्मेसी काउंसिल ने दो उम्मीदवारों अजय कुमार और कुलदीप सिंह के सर्टिफिकेट वेरीफाई करने के लिए 2023 में बोर्ड कार्यालय भेजे थे।

बोर्ड द्वारा की गई पहली जांच में उक्त प्रमाण-पत्रों को वैध घोषित किया गया था, लेकिन फार्मेसी काउंसिल द्वारा इन प्रमाण-पत्रों को संदिग्ध पाए जाने पर जब इन्हें दोबारा जांच के लिए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को भेजा गया तो दूसरी रिपोर्ट में दोनों प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए। जांच के दौरान पता चला कि वेरिफिकेशन शाखा में रिकार्ड से छेड़छाड़ की गई थी। दरअसल, 2 सहायकों द्वारा वेरिफिकेशन के लिए प्रमाण पत्र मैन्युअल रूप से प्राप्त किए गए थे, जिन्हें वेरिफिकेशन शाखा के रजिस्टर में दर्ज भी नहीं किया गया था। जब मामले की गहराई से जांच की गई तो अजय शर्मा ने कबूल किया कि कृष्ण सिंह ने 65,000 रुपये के बदले में उसके लिए फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किया था।

इसी प्रकार कृष्ण सिंह ने बताया कि उन्होंने यह कार्य बोर्ड के एक कर्मचारी की मदद से किया है, जो दिहाड़ी पर काम करता है। जब जांच अधिकारी ने उसके फोन रिकॉर्ड की जांच की तो पता चला कि कृष्ण सिंह ने उससे कई बार फोन पर संपर्क किया था। जांच के दौरान पता चला कि अजय कुमार और कुलदीप सिंह मोगा ने अपना 12वीं का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट किशन सिंह निवासी गांव कामवाला, जिला फिरोजपुर के माध्यम से तैयार करवाया था। सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद उन्होंने पंजाब फार्मेसी काउंसिल से डी. फार्मेसी रजिस्टर करवाने के लिए जब अप्लाई किया तो सर्टिफिकेटों की जांच  के लिए दोनों उम्मीदवारों के दस्तावेज शिक्षा बोर्ड कार्यालय भेजे गए। 

उस समय बोर्ड की सिंगल विंडो पर वरिष्ठ सहायक अवनिन्द्र पाल सिंह से प्रमाण-पत्र एकत्रित करवाए गए थे। जब बोर्ड ने आगे जांच की तो पाया कि उपरोक्त दोनों मामले वेरिफिकेशन शाखा को प्राप्त नहीं हुए तथा न ही शाखा द्वारा फार्मेसी काउंसिल को इन मामलों की कोई वेरिफिकेशन रिपोर्ट भेजी गई। इससे स्पष्ट है कि यह साजिश आपसी मिलीभगत से अंजाम दी गई थी। इस संबंध में शिक्षा बोर्ड के सहायक सचिव की शिकायत पर पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। यदि इस मामले में पुलिस जांच के दौरान किसी अन्य व्यक्ति की भूमिका सामने आती है तो उसे भी शामिल किया जा सकता है या उसकी जांच कर उसे नामजद किया जा सकता है।

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