Edited By swetha,Updated: 07 Jul, 2019 11:25 AM
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी में असमंजस की स्थिति बरकरार है। कांग्रेस में हरेक बड़ा व कद्दावर नेता अपनी डफली अपना राग की तर्ज पर सुझाव दिए जा रहा है।
जालंधर(चोपड़ा): राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी में असमंजस की स्थिति बरकरार है। कांग्रेस में हरेक बड़ा व कद्दावर नेता अपनी डफली अपना राग की तर्ज पर सुझाव दिए जा रहा है। ज्यादातर नेता संकट से निपटने के प्रयासों की बजाय गांधी परिवार का गुणगान कर अपनी वफादारी साबित करने में जुटे हुए हैं। परंतु राहुल के पद छोड़ने को लेकर दिए कठोर बयान के बाद कांग्रेस नेता हतप्रभ हैं। एक तरफ कई कांग्रेसी पार्टी में बदलाव देखना चाहते हैं तो कुछ नेता राहुल गांधी के संभावित उत्तराधिकारी के चयन को लेकर परेशान दिख रहे हैं।
कांग्रेसियों का मत-पार्टी को कमजोर करने की साजिशों में जुटी भाजपा
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा द्वारा कांग्रेस को और कमजोर किए जाने की साजिशें भी रची जा रही हैं। महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट आ रहे हैं। ऐसे हालातों में पार्टी में बहुत से नेता महसूस करते हैं कि कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर दिख रही अस्पष्ट स्थिति घातक साबित हो सकती है। कुछ नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी के फैसले से पार्टी के भविष्य को बल मिलेगा जिसकी मौजूदा समय में काफी जरूरत है। एक स्पष्ट विजन के साथ कांग्रेस एक बार फिर विश्वसनीय विकल्प के रूप में उभर सकती है। स्पष्ट नेतृत्व न होने से कांग्रेस को अपने अस्तित्व को बनाए रखने के संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि राहुल के उत्तराधिकारी को चुनते समय दूरंदेशी सोच की जरूरत है। उनका मानना है कि गुटबाजी और भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर राहुल का ऐसा उत्तराधिकारी बनाया जाए जो जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को साथ लेकर पार्टी को मजबूत करने की क्षमता रखता हो।
अगले सप्ताह की जाएगी कांग्रेस के भविष्य की रणनीति तय
पार्टी नेतृत्व के मामले को सुलझाने को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक अगले सप्ताह होगी जिसमें कांग्रेस के भविष्य की रणनीति की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी। अनेकों नेताओं का एक सुर में कहना है कि ‘गांधी परिवार कांग्रेस का अटूट हिस्सा है, दोनों को अलग नहीं किया जा सकता’। पार्टी के एक नेता ने कहा कि आने वाले समय में हम गांधी परिवार के दिशा-निर्देशों की तरफ देखेंगे। अगर कोई गैर-गांधी नेता पार्टी के शीर्ष पद पर होगा तो भी पार्टी के प्रथम परिवार का संगठन में महत्वपूर्ण स्थान होगा।
प्रियंका गांधी ने सराहा था राहुल के कदम को
राहुल ने अपने इस्तीफे के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह पार्टी के लिए पहले से 10 गुना अधिक काम करेंगे। उनकी बहन व पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने सबसे पुरानी पार्टी के सबसे उच्च पद को छोड़ने के उनके साहस की सराहना की। मुम्बई में राहुल गांधी ने पत्रकारों को बताया था कि वह पदमुक्त होने के बाद भाजपा और आर.एस.एस. के साथ अपनी वैचारिक लड़ाई में 10 गुना अधिक ताकत झोंकेंगे। प्रियंका ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘कुछ ही नेताओं में ऐसा साहस दिखाने की क्षमता होती है जैसा राहुल ने किया है, मैं राहुल के फैसले का सम्मान करती हूं।’
गांधी मुक्त कांग्रेस की संभावनाओं का सवाल ही पैदा नहीं होता : अशोक गहलोत
इस संदर्भ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गांधी मुक्त कांग्रेस की संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा सवाल ही पैदा नहीं होता कि कांग्रेस व गांधी परिवार अलग-थलग हो सकते हैं। हम एक बार फिर से इस संघर्ष से उभर कर वापस लौटेंगे और कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के गतिशील नेतृत्व में फासीवादी ताकतों को हराने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी।
गांधी परिवार के बिना कांग्रेस और कांग्रेस के बिना देश एकजुट नहीं रह सकता : डी.के. शिवकुमार
कर्नाटक के मंत्री डी.के. शिवकुमार ने भी कहा कि गांधी परिवार के बिना कांग्रेस एकजुट नहीं हो सकती और कांग्रेस के बिना देश एकजुट नहीं रह सकता। गांधी परिवार के पास ही पार्टी को मजबूत और एकजुट रखने की शक्ति है और कांग्रेस को पुन: सत्ता में वापस लाने के लिए संगठन को फिर से सक्रिय बनाना होगा।