Edited By Kamini,Updated: 03 Dec, 2025 05:02 PM

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नरों को सख्त आदेश जारी किए हैं।
पंजाब डेस्क : पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नरों को सख्त आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने सभी डीसी से कहा है कि वे सिर्फ़ जरूरी मामलों में ही रोक लगाने के आदेश लागू करें। कोर्ट ने ये निर्देश एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिए, जिसमें IPC की धारा 144 (अब BNSS की धारा 163) के तहत रोक लगाने के आदेशों के बिना सोचे-समझे और लंबे समय तक इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था। चीफ जस्टिस शील नागू ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को साफ निर्देश दिए कि वे कानूनी सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन करें और जब भी इस अधिकार का इस्तेमाल करें, तो कारण लिखें।
कानून के सीमित दायरे पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि धारा 163 डिप्टी कमिश्नरों को सिर्फ़ गंभीर खतरे वाले जरूरी मामलों में ही कार्रवाई करने का अधिकार देती है और इस कानून का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। इस अधिकार का बिना सोचे-समझे इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ये निर्देश एक लंबी सुनवाई के बाद आए, जिसमें याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कई जिलों ने CrPC की धारा 144 के तहत बिना किसी रुकावट के लगातार 300 दिनों तक रोक लगाने के आदेश लगाए हैं। इससे एक एंटी-डेमोक्रेटिक माहौल बन गया है, जहां शांतिपूर्ण सभा करने पर भी नागरिकों पर बेमतलब की बातों पर केस किया जा सकता है। प्रशासन कई मामलों में किसानों के विरोध का बहाना बना रहा है। पिटीशनर ने कहा कि यह बहुत गलत है कि सारा दोष किसानों के विरोध को दिया जा रहा है।
पिटीशनर ने तर्क दिया कि पंजाब के सभी जिलों में रोक के बारे में सूचना के अधिकार कानून के तहत एक अर्जी दी गई थी, लेकिन केवल 8 जिलों ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि डेटा से पता चलता है कि न्यायिक दखल की जरूरत है। जिलों में घूमने वाले किसी भी 4 या 5 लोगों को बेमतलब की बातों पर गिरफ्तार किया जा सकता है और क्रिमिनल केस में फंसाया जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि राज्य साल के 365 दिन शांतिपूर्ण रहने का दावा नहीं कर सकता। इस तरह के सख्त रोक के आदेश राज्य के इन्वेस्टमेंट के माहौल को नुकसान पहुंचाते हैं और आर्थिक संकट को और गहरा करते हैं।
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