Edited By Vatika,Updated: 12 Feb, 2024 12:40 PM
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लेकिन इस सबसे परे पंजाब के कारोबारियों ने एक लम्बा काला दौर देखा। कारोबारियों का कहना है के क्या वही हालत फिर से बनने जा रहे है।
लुधियाना (धीमान): किसान संगठन एक बार फिर से दिल्ली कूच करने की तैयारी में है और हरियाणा व केंद्र सरकार इसे रोकने के लिए कमर कसे हुए है। लगभग 2 वर्ष बाद फिर से वही हालत बनने जा रहे है जो देश ने 2021 में देखे थे। लाखों किसान धरने पर थे और सैंकड़ों किसान कोरोना का शिकार बन गए, लेकिन इस सबसे परे पंजाब के कारोबारियों ने एक लम्बा काला दौर देखा। कारोबारियों का कहना है के क्या वही हालत फिर से बनने जा रहे है।
ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदीश जिंदल ने सरकार से अपील की है के किसानों से बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझा लिया जाए नहीं तो इसकी आग में सबसे ज्यादा पंजाब को जलना पड़ेगा। इससे पहले भी एक वर्ष 4 महीने चली हड़ताल ने पंजाब के कारोबार को तहस नहस करके रख दिया था। पंजाब में न तो कच्चा माल आ रहा था और न ही बना हुआ माल यहां से जा रहा था, एक्सपोर्ट के ज्यादातर ऑर्डर कैंसिल हो गए थे और विदेशी कम्पनियों ने पंजाब की अपेक्षा हरियाणा से माल लेना शुरू कर दिया था। सरकारी टैंडर और बड़ी कम्पनियों से पंजाब के व्यापारी बाहर हो गए थे और ये एक बड़ा ही दुखद मंजर था।
पंजाब के उद्योग पहले ही मंदी की वजह से पिछड़ते जा रहे है और ऐसे में इस हड़ताल से थोड़े बहुत काम भी बंद हो सकते है। इसलिए ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम ने जहां केंद्र और राज्य सरकार से किसानों से बात कर इस आंदोलन को खत्म करने की अपील की है, वहीं किसान संगठनों को भी पत्र लिखकर ये मांग की है के वो अपनी हड़ताल के दौरान इस बात का ध्यान रखे की पंजाब के उद्योगों का कोई अहित न हो। पंजाब को आने जाने वाले ट्रकों को वो रास्ते में न रोके और अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो इसका असर पंजाब के आर्थिक हालातों पर पड़ने की भी पूरी संभावना है।