शैलर मालिकों के गले की फांस बना हाईब्रिड धान

Edited By Tania pathak,Updated: 12 Oct, 2020 09:36 AM

hybrid paddy became a trap for the owners

सरकार की स्पैसिफिकेशन के मुताबिक शैलर मालिकों को धान में से 67 प्रतिशत यील्ड देनी होती है, जिसमें 25 प्रतिशत ब्रोकन चावल व 3 प्रतिशत डैमेज...

होशियारपुर (जैन): शैलरों में मिलिंग के लिए आ रहा हाईब्रिड धान कम यील्ड के चलते जिला के राइस मिलरों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन रहा है। इस गंभीर समस्या को लेकर शैलर मालिकों की एक बैठक आज जिला प्रधान अजीत नारंग की अध्यक्षता में हुई। जिसमें जिला भर के शैलर मालिक शामिल हुए। बैठक के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि पंजाब सरकार द्वारा प्रतिबंध के बावजूद हाईब्रिड धान की बुआई की गई जोकि शैलर मालिकों के लिए गले की फांस बन रही है। शैलर मालिकों ने कहा कि मंडियों में हाईब्रिड धान अत्यधिक आ रहा है। 

सरकार की स्पैसिफिकेशन के मुताबिक शैलर मालिकों को धान में से 67 प्रतिशत यील्ड देनी होती है, जिसमें 25 प्रतिशत ब्रोकन चावल व 3 प्रतिशत डैमेज व डिस्कलर देना होता है। लेकिन इस सीजन में चावल में से 45 से 55 प्रतिशत तक ब्रोकन तथा 6 प्रतिशत डैमेज व डिस्कलर आ रहा है, जिसके चलते 67 प्रतिशत की बजाय 60 से 62 प्रतिशत तक चावल की यील्ड मिल रही है। इसके चलते जिला के करीब 42 शैलर मालिकों को मिङ्क्षलग के काम में करोड़ों रुपए के नुक्सान का अंदेशा है। बैठक में मौजूद शैलर मालिकों प्रधान अजीत नारंग, अमरीक सिंह गग्गी, विजय नारंग, संजीव आनंद, रमन डोगरा, बरजिन्द्र अग्रवाल, अनिल रल्हन, ब्रह्म रल्हन, राज कुमार नारंग, संजीव नैय्यर, प्रेम चुघ, अशोक चुघ, अजय ठाकुर, सुरजीत सिंह, सरांश जैन, अमनदीप सिंह, अमन ओहरी, विनोद रल्हन व रिंकू आदि ने पंजाब सरकार से मांग की है कि इस समस्या का फौरी तौर पर समाधान किया जाए ताकि शैलर मालिकों को होने वाले करोड़ों रुपए के आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।

वर्णनीय है कि जिले भर के 42 शैलर मालिक धान की मिङ्क्षलग करके पंजाब में सबसे पहले चावल एफ.सी.आई. गोदामों में लगा देते हैं। उनका कहना है कि मिलिंग के काम में जिला होशियारपुर हमेशा अग्रणी भूमिका निभाता है इसलिए सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करे। 

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