बोगस बिलिंग का धंधा करने वाले लोग सरकार को इस तरह लगा रहे चूना

Edited By Urmila,Updated: 27 Apr, 2022 02:30 PM

forgery people associated with the gaurakh business

भ्रष्टाचार रोकने को लेकर पंजाब सरकार की तरफ से कई दावे जताए जा रहे है लेकिन बोगस बिलिंग के धंधे से जुड़े लोगों की इस समय चांदी हो रही है और सरकार को दोनों हाथों से चूना लगा...

लुधियाना (गौतम): भ्रष्टाचार रोकने को लेकर पंजाब सरकार की तरफ से कई दावे जताए जा रहे है लेकिन बोगस बिलिंग के धंधे से जुड़े लोगों की इस समय चांदी हो रही है और सरकार को दोनों हाथों से चूना लगा रहे हैं। बोगस बिलिंग का धंधा करने वाले अपने चहेतों को बचाने के नाम पर छुटभैया नेता उनसे हिस्सा वसूल कर रहे है। यह छुटभैया नेता इन लोगों को अधिकारियों के साथ अपने संबंध होने की बात कह कर उन पर अपनी धाक जमाते है। जहां तक बोगस बिलिंग करने वालों के एक-दूसरे से तार जोड़ने के बदले में कमीशन मांगते है। कारण है कि अभी न तो जी.एस.टी. विभाग के अधिकारी पूरी तरह से सक्रिय हो रहे है और न ही नई सरकार का इस तरफ कोई ध्यान है। 

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पहले से इस गौरख धंधे से जुड़े लोग दोनों हाथों से सरकार के खजाने को लूटने में लगे है। इस धंधे से जुड़े लोगों ने अब नया फंडा निकालते हुए राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, में छोटे स्तर पर काम कर रही फर्मों की आड़ लेनी शुरू कर दी है। शातिरों ने इन फर्मों के नाम से मिलती जुलती फर्में खोल कर उसमें काम करना शुरू कर दिया है। कारण है कि सैंट्रल जी.एस.टी. की तरफ से ग्राऊंड स्तर पर जाकर चैकिंग ही नहीं की जाती। दूसरा इस गौरख धंधे से जुड़े लोग नंबर जारी करवाने के लिए इंस्पेक्टर स्तर से सुपरिटेंडेंट स्तर तक के अधिकारियों से सांठ-गाठ कर रखते है। 

घर के नौकर से लेकर जरूरतमंद रिश्तेदारों के नाम पर चलाई जा रही बोगस फर्म 
करोड़ों रुपए की बोगस बिलिंग कर विभाग के रेवन्यू को नुकसान पहुंचाने वाले लोग एक-दूसरे को 30 से 50 हजार रुपए तक लेकर सैंट्रल जी.एस.टी. का नंबर दिलवा रहे है क्योंकि इन लोगों का मानना है कि स्टेट जी.एस.टी. से आसान है सैट्रल जी.एस.टी. के नंबरों पर काम करना। जिसके लिए यह अपने घर के नौकरों, ड्राइवरों से लेकर जरूरतमंद रिश्तेदारों को इस काम में धकेल रहे है। इसके लिए उनके नाम पर मोबाइल सिम भी जारी करवा कर अपने पास रखते है और ताकि विभाग की तरफ से आने वाले ओ.टी.पी. को गुप्त रखा जाए जबकि इन लोगों का इस धंधे की कोई भी जानकारी नहीं होती। उन्हें केवल अपने 10 से 15 हजार रुपए तक मतलब होता है। 

आई.टी.सी. और राहदारी के तौर पर चल रहा है धंधा 
इस धंधे से जुड़े लोग बोगस बिलिंग करते समय एक-दूसरे इस बात को लेकर तय करते है कि वह उनके फर्मों के बिल लेने के बाद रिफंड के आवेदन नहीं करेगें और केवल राहदारी के लिए बिल का प्रयोग करेगें। अगर किसी ने रिफंड लेने के लिए बिल लेने है तो वह उसके हिसाब से फर्म का प्रयोग करते है और उसके एवज में अधिक रेट लेते है। बेशक विभाग की तरफ से जब किसी मगरमच्छ पर हाथ डाला जाता है तो यह लोग अंडरग्राऊंड हो जाते है या फिर जिन अधिकारियों साथ सैटिंग होती है वह उन्हें पहले ही सूचित कर देते है। 

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फाइनेंसरों की हो रही चांदी 
इस बोगस बिलिंग के धंधे में जहा फर्में खोलने वालों की चांदी हो रही है वहीं उनके साथ रहने वाले फाइनेंसरों की भी चांदी है क्योंकि यह एंट्री करवाने के लिए कैश इन फाइनेंसरों से लेते है जिनकों इसके बदले में कमीशन दी जाती है और यह लोग सुबह कैश देकर शाम को कैश वापिस लेते है। विभाग की नजर से बचने के लिए इन लोगों ने शहर के भीतरी बाजारों में अपने ऑफिस बना रखे है और एक ही छत के नीचे कई-कई फर्में चला रहे है। सी.एम.सी., ट्रासपोर्ट नगर, टिब्बा रोड़, दाल बाजार के आसपास इन लोगों के करिंदे सक्रिय रहते है।
  
ट्रांसपोर्टरों को 400 से 600 रुपए तक राहदारी के बिल 
टैक्स चोरी कर दूसरे राज्यों में माल पहुंचाने के लिए काम कर रहे कुछ ट्रांसपोर्टर इन बोगस बिलिंग करने वाले लोगों का सहारा ले रहे है । यह लोग इन लोगों को 400 से 600 रुपए लेकर 45 हजार रुपए से नीचे के बिल सप्लाई करते है और सामान पहुंचते ही बिल नष्ट कर दिए जाते है। इसमें भी कुछ लोग ई-वे वाले बिलों के लिए अधिक वसूली करते है।

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