Edited By Kamini,Updated: 01 Aug, 2025 03:47 PM

वर्ष 1993 में पंजाब के तरनतारन जिले में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है।
पंजाब डेस्क : वर्ष 1993 में पंजाब के तरनतारन जिले में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस मामले में तत्कालीन SSP, DSP और 3 अन्य पुलिस अधिकारियों को हत्या और आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया है। सभी दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और सोमवार को सजा सुनाई जाएगी।
दोषी करार दिए गए अधिकारी में भूपेंद्रजीत सिंह (रिटायर्ड एसएसपी), दविंदर सिंह (रिटायर्ड डीएसपी), सूबा सिंह (रिटायर्ड इंस्पेक्टर), रघुबीर सिंह (रिटायर्ड इंस्पेक्टर) और गुलबर्ग सिंह शामिल हैं। इन पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोष साबित हुआ है।
क्या था मामला?
1993 में तरनतारन जिले में 7 युवकों की 2 फर्जी पुलिस एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। इन युवकों को पुलिस ने उनके घरों से उठाया, कई दिनों तक गैरकानूनी हिरासत में रखा और अमानवीय यातनाएं दीं। फिर पुलिस ने थाना वैरोवाल और थाना सहराली में झूठे एनकाउंटर की एफआईआर दर्ज की गई और फिर उन्हें झूठे एनकाउंटर में मार गिराया।
मारे गए युवकों में 4 एसपीओ
झूठे एनकाउंटर में से 4 युवक पंजाब सरकार के एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) पद पर तैनात थे। इसके बावजूद, पुलिस ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर फर्जी एनकाउंटर में मार दिया। दुख की बात यह रही कि परिजनों को न तो शव सौंपे गए, न ही अस्थियां दी गईं, और अंतिम संस्कार तक करने नहीं दिया गया। करीब 33 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।
पुलिस की गढ़ी गई कहानी
फर्जी एनकाऊंचर के बाद पुलिस ने झूठी कहानी पेश की थी। पुलिस ने दावा किया कि एक आरोपी मंगल सिंह को जब रिकवरी के लिए ले जाया जा रहा था, तब उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। इस दौरान जवाबी कार्रवाई में मंगल सिंह सहित 3 लोग मारे गए। दूसरे मामले में पुलिस ने कहा कि एक नाके पर फायरिंग हुई, जिसमें 3 अन्य युवक मारे गए। पुलिस ने कहा कि, नाका लगा हुआ था कि इस दौरान फायरिंग हो गई, जिसमें 3 लोग मारे गए। हालांकि, सीबीआई जांच में इन दोनों कहानियों को पूरी तरह झूठा पाया गया। यह मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने जांच के बाद 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान इनमें से 5 अधिकारियों की मौत हो गई, जबकि बाकी 5 को अदालत ने अब दोषी ठहराया है।
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