Edited By Suraj Thakur,Updated: 03 Nov, 2019 10:04 AM
दूषण का लैवल इतना बढ़ गया कि देश कि राजधानी में सुप्रीम कोर्ट को हैल्थ इमरजैंसी घोषित करने पड़ी।
जालंधर। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर हो हल्ला हो रहा है। दोष पंजाब और हरियाणा के सिर मढ़ा जा रहा है। किसान पराली जलाना छोड़ नहीं रहे हैं और प्रदूषण का लैवल इतना बढ़ गया कि देश कि राजधानी में सुप्रीम कोर्ट को हैल्थ इमरजैंसी घोषित करने पड़ी। किसानों की अपनी समस्याएं जिसके चलते वे लगातार पराली जला रहे हैं। हालात ऐसे हो गए है कि पराली जलाने के मामलों में पिछले साल के मुकाबले इस साल 22 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है।
थम नहीं रही पराली जलाने की घटनाएं
अगर आंकड़ों की बात करें लुधियाना के रिमोट सेंसिंग सेंटर के मुताबिक सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच पंजाब के गांवों में पराली जलाने के 22,137 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी समय अवधि में पिछले साल इनकी संख्या 17,646 थी। करीब 22 फीसदी तक इन मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। पंजाब में हर साल 22 मिलियन टन पराली इकट्ठी होती है। पराली जलाने का असर दिल्ली की हवा पर पड़ता है।
किसान की पहुंच से मशीनें दूर
पंजाब सरकार का दावा है कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। विडंबना तो यह है कि पराली जलाने की रोकथाम के उपाए सरकार तब सोचने लगती है जब किसान पराली जलाने लगते हैं। जबकि इसके लिए समय से पहले सरकार ने कोई ठोस नीति तैयार की ही नहीं है। पंजाब के कृषि सचिव के एस पन्नू का कहना है कि सरकार ने पिछले साल से अब तक 500 करोड़ रुपये पराली जलाने पर खर्च किए हैं। इसके तहत पिछले साल 28,000 मशीनों को लगाया गया था और इस साल यह आंकड़ा 17,000 का है। हालांकि, इन मशीनों की कीमत 55 हजार से बढ़कर 2.7 लाख तक पहुंच गई है।