49 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में कैद है BSF जवान सुरजीत सिंह

Edited By Vatika,Updated: 03 Dec, 2019 11:38 AM

bsf jawan surjit singh is imprisoned in pakistan jail for 49 years

एकतरफ जहां बी.एस.एफ.की तरफ से अपना 55वां स्थापना दिवस धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है तो वहीं बी.एस.एफ. के एक जाबांज जवान को शायद बी.एस.एफ.ही भूल चुकी है।

अमृतसर(नीरज): एकतरफ जहां बी.एस.एफ.की तरफ से अपना 55वां स्थापना दिवस धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है तो वहीं बी.एस.एफ. के एक जाबांज जवान को शायद बी.एस.एफ.ही भूल चुकी है।
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जानकारी के अनुसार बी.एस.एफ. जवान सुरजीत सिंह पिछले 49 वर्षों से पाकिस्तान की किसी जेल में कैद है लेकिन पाकिस्तान सरकार उसे रिहा नहीं कर रही है। हालत यह है कि सुरजीत सिंह का परिवार आज भी उसके जिंदा होने की उम्मीद लगाए बैठा है और उस दिन का इंतजार कर रहा है जब सुरजीत सिंह पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत आएगा। वहीं एक बार तो परिवार को सुरजीत सिंह के रिहा होने की उम्मीद जरूर जागी थी लेकिन जिस कैदी को पाकिस्तान ने रिहा किया वह सुरजीत सिंह उर्फ मक्खन सिंह था जिससे सुरजीत सिंह के परिवार को घोर निराशा हुई।  सुरजीत सिंह का परिवार पिछले कई वर्षों से उसे पाकिस्तान से रिहा करवाने के लिए प्रयास कर रहा है। यहां तक कि जंतर-मंतर पर धरना भी दे चुका है लेकिन फिर भी सुरजीत सिंह की रिहाई नहीं हो रही है। बी.एस.एफ.का जवान सुरजीत सिंह गांव टहना फरीदकोट का रहने वाला है। उसका बैच नम्बर 66577672 है और वह बी.एस.एफ.की 57वीं बटालियन में तैनात था। वर्ष 1971 में जब वह सांबा सैक्टर में ड्यूटी कर रहा था तो उस समय भारत-पाक जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार कर लिया और आज तक उसे न तो रिहा किया है और न ही उसके पाकिस्तानी जेल में जिंदा होने की पुष्टि की है।
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1984 में पाक से रिहा हुए सतीश कुमार ने की थी सुरजीत के जिंदा होने की पुष्टि
सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक सिंह को अपने पिता के जिंदा होने की खबर तब मिली जब 4 जुलाई 1984 को सतीश कुमार मरवाहा निवासी बस्ती टंका वाली फिरोजपुर पाकिस्तान की जेलसे रिहा होकर भारत आया। सतीश कुमार ने बताया था कि सुरजीत सिंह वर्ष 1973 से लेकर 1984 तक उसके साथ ही पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में कैद था और वह दोनों इकट्ठे थे। सतीश कुमार को सुरजीत सिंह की फोटो भी दिखाई गई और उसने सुरजीत सिंह की पहचान भी कर ली। इसके बाद वर्ष 2004 में भारतीय कैदी खुशी मुहम्मद निवासी मलेरकोटला पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जिंदा होने की पुष्टि की।
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जगजीत सिंह निवासी कपूरथला भी जब वर्ष 2004 में पाकिस्तान से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जिंदा होने की पुष्टि की। इतना ही नहीं पाकिस्तान में 24 वर्ष सजा काटने के बाद गोपाल दास जब रिहा होकर भारत आया तो उसने बताया कि सुरजीत सिंह कोटलखपत जेल में कैद था लेकिन अब उसे किसी दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। इतना ही नहीं अटारी बार्डर पर बी.एस.एफ.व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली बैठक में भी सुरजीत सिंह का मुद्दा बी.एस.एफ. की तरफ से उठाया गया लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुरजीत सिंह संबंधी कोई भी दस्तावेज नहीं दिए, उल्टा पाकिस्तानी अधिकारी यह बोल रहे हैं कि सुरजीत सिंह नाम का कोई भी व्यक्ति उनकी जेलों में नहीं है। आज सुरजीत सिंह का परिवार इस बात से बेहद खफा है कि उनके सुरजीत सिंह को रिहा करवाने के लिए भारत सरकार ने वह सख्त प्रयास नहीं किए जितना करना चाहिए था। उनका मानना है किभारत सरकार अपने सैनिकों का योग्य सम्मान नहीं कर रही है। इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचाना चाहिए था लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है।
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सैनिक मंगल सिंह का परिवार भी कर रहा है वापसी का इंतजार
भारतीय सेना के अन्य सैनिक मंगल सिंह का परिवार भी उसकी वापसी का इंतजार कर रहा है। मंगल सिंह भी 1971 की भारत-पाक जंग में लड़ा था और पाकिस्तानी सेना के हाथ लग गया, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने न तो उसके जिंदा होने की पुष्टि की और न ही उसकी रिहाई की, जबकि उसके परिवार को आशा है कि मंगल सिंह जिंदा है और एक न एक दिन लौटकर जरूर आएगा।

पाकिस्तानी रेडियो ने की थीसैनिक रामदास के जिंदा होने की पुष्टि
सैनिक रामदास का परिवार भी उनकी वापसी का आज तक इंतजार कर रहा है। रामदास के बेटे शिव कुमार के अनुसार उनके पिता भी वर्ष 1971 की जंग में पाकिस्तान के साथ लोहा ले रहे थे जहां पाकिस्तानी सेना ने उनको गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी 1972 को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर रेडियो रावलपिंडी पर रामदास की आवाज सुनी थी जहां उनके पिता ने रेडियो पर बोलकर रिहाई की अपील की थी इससे ज्यादा उनके जिंदा होने की पुष्टि और क्या हो सकती है लेकिन आज तक उनकी रिहाई नहीं की गई है। शिव कुमार ने बताया कि हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसका किरया व श्राद्ध आदि किया जाता है लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि अभी तक उनके पिता के जिंदा होने की उम्मीद उनके मन में है।

आई.सी.जे. में भी दायर है अपील
भारत-पाक जंग 1965 व 1971 के 54 जंगी कैदियों के मामले में इस समय इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भी कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है लेकिन पाकिस्तान सरकार भारतीय जंगी कैदियों के रिहा होने की पुष्टि नहीं कर रही है। यह मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है और केन्द्र सरकार की इसमें खिंचाई हो रही है। 

आई.एच.सी. को सौंपी लिस्ट में 54 भारतीय जंगी कैदियों के नाम गायब
आई.एच.सी. (इंडियन हाई कमीशन) को पाकिस्तान की तरफ से भारतीय कैदियों संबंधी भेजी गई लिस्ट में एक बार फिर से 54 भारतीय जंगी कैदियों का नाम गायब कर दिया गया है और पाकिस्तान फिर से कह रहा है कि उसकी जेलों में कोई भी भारतीय जंगी कैदी कैद नहीं है। पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में आई.एच.सी. को सौंपी लिस्ट में अपनी जेलों में सिविल कैदियों व मछुआरों के कैद होने की पुष्टि की है लेकिन जंगी कैदियों का नाम ही नहीं लिया है जिससे जंगी कैदियों के परिवारों में फिर से दुख के बादल छा गए हैं। भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी अपने जंगी कैदियों की लिस्ट सौप चुकी है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जंगी कैदियों को रिहा करवाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन पाकिस्तान अपनी दगाबाजी से बाज नहीं आ रहा है। 

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