Edited By Kamini,Updated: 20 Feb, 2024 03:49 PM
![big order of supreme court regarding chandigarh mayor election](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2022_9image_17_14_239775711breakingformat-ll.jpg)
चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर अहम खबर सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार मेयर चुनाव की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में जारी है।
पंजाब डेस्क : चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर अहम खबर सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार मेयर चुनाव की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में जारी है। इस दौरान चीफ जस्टिस सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यों की पीठ में सुनवाई हो रही हैं। चीफ जस्टिस सीजेआई चंद्रचूड़ खुद बैलेट पेपरो की जांच कर रहे हैं। 8 बैलेट पेपरो को देखने के बाद उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि इन्हें रद्द क्यों किया गया जबकि ये सही थे। 8 वोट आम आदमी पार्टी के प्रत्याक्षी के पक्ष में थे। इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे बताया जाए कि इनवैलिड को वैलिड कैसे करार दिया गया। उन्होंने कहा कि वोटों की गिनती दोबारा से करने के आदेश दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि बेंच को बैलेट पेपर व रिकार्ड सौंप दिया गया है।
आपको बता दें गत दिन भी मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद पर गत दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट की तरफ से चुनाव अधिकारी अनिल मसीह को कड़ी फटकार लगाई गई। चुनाव अधिकारी अनिल मसीह की कोर्ट में पेशी थी, जिस दौरान उन्होंने अपनी गलती कबूल कर ली है। अनिल मसीह ने माना है कि उन्होंने बैलट पेपर पर मार्क लगाया है जबकि केवल साइन करने थे। कोर्ट ने वोटिंग का पूरा वीडियो पेश करने के निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि मसीह के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
आपको ये भी बता दें कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पंजाब सी.एम. भगवंत मान ने बड़ी धांधली के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट में पेशी से पहले ही चंडीगढ़ के मेयर ने गत शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब है कि 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था और बीजेपी के पार्षद मनोज सोनकर को मेयर की गद्दी सौंप दी गई थी। जिसके बाद आम आदमी पार्टी व कांग्रेस ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को भी फटकार लगाई थी।
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