सेना की वर्दी को लेकर आम जनता के लिए कानून है पर पहरा नहीं

Edited By Mohit,Updated: 01 Nov, 2018 04:18 PM

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जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा सेना, अर्ध सैनिक बलों तथा पुलिस कर्मचारियों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी के आम जनता द्वारा पहनने, बेचने तथा स्टोर करने पर पाबंदी लगा रखी है। पंरतु इसके बावजूद जिला गुरदासपुर तथा जिला पठानकोट में जिला प्रशासन की लाख कोशिश के...

गुरदासपुर (विनोद): जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा सेना, अर्ध सैनिक बलों तथा पुलिस कर्मचारियों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी के आम जनता द्वारा पहनने, बेचने तथा स्टोर करने पर पाबंदी लगा रखी है। पंरतु इसके बावजूद जिला गुरदासपुर तथा जिला पठानकोट में जिला प्रशासन की लाख कोशिश के बाद सीमा सुरक्षा बल, भारतीय सेना के जवानों सहित पुलिस कर्मचारियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली वर्दी के आम जनता द्वारा प्रयोग किए जाने तथा दुकानदारों द्वारा बेचने पर रोक नही लगाई जा सकी है। जबकि जब भी कही आतंकवादी घटना देश में अब होती है तो वहां पर यही रिपोर्ट आती है कि हमला करने वाले आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों की वर्दी पहन रखी थी।

क्या स्थिति है गुरदासपुर व पठानकोट जिलों में
जिला मैजिस्ट्रेट गुरदासपुर तथा जिला मैजिस्ट्रेट पठानकोट द्वारा हर तीन माह बाद यह एक विशेष आदेश जारी कर आम जनता द्वारा पुलिस, अर्ध सैनिक बल व सेना के जवानों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी के पहनने पर रोक लगाई जाती है। पंरतु उसके बावजूद यदि सुबह यदि लेबर शैडों में लेबर को खड़े देखा जाए या गांवों में लोगों को देखा जाए तो अधिकतर लोगों ने इन सुरक्षा फोर्स के जवानों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी की कमीज तो कम से कम जरूर पहनी होती है। कई बार को कुछ ठगी करने वाले लोग भी पुलिस की वर्दी पहन कर लोगों को लूटने का धन्धा भी करते है। कई बार तो पुलिस कर्मचारी भी इस बात की शिकायत करते है कि उनकी वर्दी चोरी हो गई है तथा उन्हें नई वर्दी सिलानी पड़ती है या बाजार से खरीदनी पड़ती है। इस संबंधी पठानकोट शहर में तो कुछ दुकानदारों ने सेना की वर्दी बेचने के लिए दुकानों के बाहर ही खुलेआम लटका रखी है जबकि गुरदासपुर, दीनानगर, धारीवाल व बटाला में तो कुछ दुकाने केवल काम ही सुरक्षा बलों के जवानों की नई व पुरानी वर्दियों के बेचने का करती है। इस संबंधी सभी प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों को इस बात की जानकारी भी होती है। आज तब जिला पुलिस गुरदासपुर व पठानकोट में जिला मैजिस्ट्रेट के आदेश की पालना करते हुए एक भी ऐसा केस दर्ज नहीं किया गया है जिसमें किसी को पुलिस, अर्ध सैनिक बल या सेना के जवानों द्वारा प्रयोग की जाने वाली वर्दी पहने के कारण दोषी माना गया हो।

क्या कहना है दुकानदारों का
यह समान बेचने वाले एक दुकानदार ने अपना नाम गुप्त रखने के आश्वासन पर बताया कि इस समय पुलिस कर्मचारियों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी का कोई ऐसा विशेष रंग या डिजाईन नहीं है कि जो बाजार से न मिलता हो। इसी तरह पुलिस के जवानों के सीने पर लगा पुलिस निशान भी बाजार से मिलने लगा है। इसी तरह सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी का हाल है। उन्होंने कहा कि जितने भी ड्रामे या स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते है वहां यदि किसी ने पुलिस कर्मचारी या सेना के जवान का रोल अदा करना होता है तो वह वर्दी भी हमारे से ही खरीद कर ले जाते है। इस दुकानदार के अनुसार हम वर्दी तो बेच देते है पंरतु पुलिस, अर्ध सैनिक बलों व सेना के जवानों की वर्दी पर लगने वाला निशान नहीं बेचते।

क्या कहना है जिला पुलिस अधीक्षक स्वर्णजीत सिंह का
इस संबंधी जिला पुलिस अधीक्षक गुरदासपुर स्वर्णजीत सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि जिला मैजिस्टे्रट द्वारा यह आदेश जारी किया जाता है तथा इस आदेश को लागू करवाना पुलिस की डयूटी है। परंतु पुलिस  कर्मचारी क्या करें। पुलिस के पास वैसे ही बहुत अधिक काम है तथा वी.आई.पी.डयूटी के चलते तो हमारा बुरा हाल हो जाता है। इस तरह की छोटी छोटी बातों पर हम ध्यान नहीं दे पाते। जबकि इस तरह के अपराध को रोकना जरूरी है। उन्होंने स्वीकार किया कि जम्मू कश्मीर में आज तक जितने भी पुलिस पर या सेना पर हमले हुए है उन सभी मे हमलावरों ने पुलिस या भारतीय सेना के जवानों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी पहन रखी होती है। उसके बावजूद जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में आम जनता द्वारा सुरक्षा बलों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी के पहने पर रोक नहीं लगाई जा सकी है। पठानकोट एयरबेस तथा दीनानगर पुलिस स्टेशन पर होने वाले आंतकवादी हमलावरों ने भी भारतीय सेना के जवानो द्वारा पहनी जाने वाली वर्दियां पहन रखी थी। लोगों को स्वंय सोचना चाहिए कि उन्हें यह सेना या अन्य सुरक्षा बलों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी न तो बेचनी चाहिए तथा न ही खरीदनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्दी ही इस संबंधी आदेश जारी कर पुलिस स्टेशनों में इस आदेश की पालना करने को कहा जाएगा। उनके अनुसार कानून की सख्ती की बजाए लोगों को स्वंय चाहिए कि वह कानून को हाथ में न लें।

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