महानगर में चल रही पार्किंग साइटों को लेकर बड़ा खुलासा, धड़ल्ले से चल रहा ये काम

Edited By Urmila,Updated: 26 Jul, 2024 02:23 PM

big disclosure about the parking sites running in the metropolis

यहां बताना उचित होगा कि नगर निगम द्वारा पार्किंग साइटों को ठेके पर देने के लिए जो टेंडर जारी किया गया था।

लुधियाना (हितेश): महानगर में चल रही पार्किंग साइटों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है कि ठेकेदार 9 महीने पहले एग्रीमेंट खत्म होने के बावजूद पार्किंग फीस की वसूली कर रहा है। यहां बताना उचित होगा कि नगर निगम द्वारा पार्किंग साइटों को ठेके पर देने के लिए जो टेंडर जारी किया गया था, उसकी मियाद पिछले साल अक्तूबर में खत्म हो गई है जिसके बाद नगर निगम अधिकारियों द्वारा न तो नए सिरे से टेंडर जारी किया गया और न ही पार्किंग साइटों को चलाने का कंट्रोल अपने हाथों में लिया गया है जिसकी आड़ में पुराना ठेकेदार ही पार्किंग साइटों पर काबिज है और उसके द्वारा 9 महीने पहले एग्रीमेंट खत्म होने के बावजूद पार्किंग फीस की वसूली की जा रही है।

यह है पार्किंग साइटें

-माता रानी चौक के नजदीक स्थित मल्टी स्टोरी पार्किंग काम्प्लेक्स
-फिरोज गांधी मार्केट
-सराभा नगर मेन मार्केट
-भदोड़ हाऊस, एसी मार्केट
-मॉडल टाउन ट्यूशन मार्केट
-बी आर एस नगर मार्केट 

 ओवर चार्जिंग को लेकर कार्रवाई करने की बजाय कमेटी की सिफारिश के उल्ट दी गई 10 फीसदी की छूट

नगर निगम अधिकारियों की पार्किंग ठेकेदार के साथ मिलीभगत के सबूत टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी की 18 जनवरी को हुई मीटिंग के फैसले के रूप में सामने आया है जिसके मुताबिक पार्किंग साइटों को ठेके पर देने के लिए नया टेंडर जारी करने के मुद्दे पर एडिशनल कमिश्नर की अगुवाई में कमेटी का गठन किया गया था।

इस कमेटी में शामिल ज्वाइंट कमिश्नर कुलप्रीत सिंह, जोन डी के जोनल कमिश्नर जसदेव सिंह, हेड क्वॉर्टर के सुपरडेंट हरविंद्र डल्ला द्वारा अपनी रिपोर्ट में पिछले टेंडर की राशि में 10 फीसदी का इजाफा करने की सिफारिश की गई लेकिन यह सिफारिश को यह कहकर अस्वीकार कर दिया गया कि पार्किंग साइटों में ओवर चार्जिंग हो रही है लेकिन ओवर चार्जिंग को लेकर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने का रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं है

पहले टेंडर लगाने में की देरी और फिर लोकसभा चुनाव की आड़ में दी गई एक्सटेंशन

इस मामले से जुड़ा हुआ एक पहलू यह भी है कि पार्किंग साइटों को ठेके पर देने के लिए नए सिरे से टेंडर लगाने की मंजूरी कमिश्नर दुआरा पिछले साल 25 सितंबर को ही दे दी गई थी लेकिन तहबाजारी ब्रांच के अधिकारियों द्वारा इस प्रक्रिया को जानबूझकर लटकाया गया जिसके तहत पहले अक्तूबर में कमेटी बनाने का ड्रामा किया गया और 15 दिन की डेडलाइन के बावजूद दिसंबर में रिपोर्ट भेजी गई । जनवरी के दौरान प्रस्ताव पास किया गया और मार्च में जाकर टेंडर जारी किया गया। इस टेंडर को लोकसभा चुनाव के नाम पर पेंडिंग कर दिया गया और दोबारा टेंडर जारी करने की बजाय पुराने ठेकेदार को ही एक्सटेंशन दी जा रही है।

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