मेयर व विधायकों के लिए खतरे की घंटी, डेढ़ दर्जन कांग्रेसी पार्षद भाजपा के संपर्क में

Edited By swetha,Updated: 21 Aug, 2019 09:51 AM

danger bells for mayors and legislators congress councilors in contact with bjp

पंजाब में कांग्रेस को सत्ता में आए हुए 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है।

जालंधर(गुलशन): पंजाब में कांग्रेस को सत्ता में आए हुए 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। जहां पंजाब में कांग्रेस की सरकार है, वहीं जालंधर नगर निगम पर भी कांग्रेस का ही कब्जा है। शहर के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले मेयर के अलावा चारों विधायक भी कांग्रेस पार्टी के ही हैं। 

मेयर जगदीश राज राजा को काफी अनुभवी माना जाता था क्योंकि वह पिछले कई दशकों से पार्षद के पद पर रह चुके हैं। विपक्ष में भी रहते हुए उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभाई है। कहा जाता था कि नगर निगम में राजा बाबू का डंका बजता है, लेकिन कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें मेयर के पद पर बैठाया गया। मेयर के पद पर बैठते ही उनका डंका बजना बंद हो गया। शहर में विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प हो गए, जिस कारण आम जनता के साथ-साथ पार्षदों में भी काफी रोष पाया जा रहा है, क्योंकि उनका जनता के बीच जाना मुश्किल हो गया है।

शहर के अधिकांश वार्डों में काम ना होने की वजह से कांग्रेसी पार्षद ही मेयर के खिलाफ होने लगे हैं, क्योंकि उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मॉडल टाऊन श्मशान घाट के पास कूड़े का डंप को हटाने के लिए पार्षद बलराज ठाकुर को मेयर के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करना पड़ा, जिसमें कैंट विधानसभा हलके से विधायक परगट सिंह अन्य नेताओं ने भी उनका समर्थन किया। इस दौरान परगट सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि उन्होंने सरकार से मेयर को बदलने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अकेले मेरे कहने से नहीं, बाकी लीडरों को भी इस संबंध में आवाज उठानी चाहिए। 

वहीं दूसरी तरफ सूत्रों से पता चला है कि जनता के बीच अपनी छवि धूमिल होती देख कर जालंधर कैंट, सैंट्रल और वैस्ट विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस के करीब डेढ़ दर्जन पार्षद भाजपा के संपर्क में हैं, जो किसी भी समय भाजपा का दामन थाम सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कुछ पार्षदों की  भाजपा की सीनियर लीडरशिप से मुलाकात भी हो चुकी है। इससे पहले कांग्रेस के सीनियर नेता व पूर्व मेयर सुरिन्द्र महे भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि शहर के कुल 80 पार्षद हैं। इनमें कांग्रेस के 66, अकाली-भाजपा के 13 और 1 आजाद पार्षद है। अगर कांग्रेसी पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया तो जाहिर है कि मेयर के साथ-साथ विधायकों की टैंशन भी बढ़ जाएगी।

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