सिख फेडरेशन ने इस मांग के चलते निकाला रोष मार्च

Edited By Urmila,Updated: 26 Dec, 2021 04:07 PM

the sikh federation launched a furious march over this demand

जेलों में बंद 9 बंदी सिंहों की रिहाई के लिए सिख स्टूडैंट्स फेडरेशन भिंडरांवाला, आल इंडिया सिख  स्टूडेंट्स फेडरेशन, जत्थेदार जगतार सिंह हवारा कमेटी, सिरलत्थ खालसा और श्री गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार समिति...

अमृतसर (अनजान): जेलों में बंद 9 बंदी सिंहों की रिहाई के लिए सिख स्टूडैंट्स फेडरेशन भिंडरांवाला, आल इंडिया सिख  स्टूडेंट्स फेडरेशन, जत्थेदार जगतार सिंह हवारा कमेटी, सिरलत्थ खालसा और श्री गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार समिति की तरफ से गुरुद्वारा श्री संतोखसर साहिब से लेकर श्री अकाल तख्त साहिब तक हाथों में बैनर पकड़ कर रोष मार्च निकाला गया। श्री अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व में पंथ और बंदी सिंहों की चढ़ती कला और रिहाई के लिए अरदास विनती की गई।

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पत्रकारों के साथ बातचीत दौरान प्रो. बलजिन्दर सिंह, भाई रणजीत सिंह, कंवर चढ़त सिंह और भाई सतनाम सिंह झंजियां ने कहा कि भारत के संविधान अंदर दो प्रकार के कानून हैं। एक वह कानून जो बहु-संख्याकों के लिए लागू किया जाता है और वह चाहे जितना मर्जी अपराध कर लें वह नजरअंदाज करके यह कानून उनके फेवर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूसरा कानून अल्पसंख्यकों खासकर सिखों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह कानून दिखावे के लिए और तो सिखों के विरोध के लिए और होता है।

मिसाल के तौर पर जिन बंदी सिंहों को उम्र कैद की सजा हुई थी वह अपनी उम्र कैद के बाद भी 31-31 सालों से जेलों में बंद हैं और जिन चार पुलिस कर्मचारियों को सिखों पर झूठे पर्चे दर्ज करने के लिए उम्र कैद की सजा हुई थी वह चार-चार साल की सजा काट कर सरकार की मेहरबानी के साथ रिहा भी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए जहां बी.जे.पी. और कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है, वहीं केजरीवाल सरकार भी पूरी तरह के साथ जिम्मेदार है। 

उन्होंने कहा कि अकाली जो अपने आपको पंथक कहलवाते हैं परन्तु अंदर से आर.एस.एस. के चेले हैं क्योंकि सता में होते हुए उन्होंने कभी भी किसी सिंह की रिहाई के लिए नारा नहीं लगाया। उन्होंने कहा कि सरकारों की लापरवाही कारण वह यह मसला इंटरनेशनल स्तर तक लेकर जाना चाहते हैं ताकि सोई सरकारों को जगाकर सजाएं भुगत चुके बंदी सिंहों को रिहाई दिलाई जा सके। 

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