कृषि कानूनों पर रोक लगाने की मियाद बढ़ाने संबंधी बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया : अमरेंद्र

Edited By Sunita sarangal,Updated: 22 Feb, 2021 11:19 AM

statement of ban on agricultural laws captain amarinder singh

कहा- उनका निजी सुझाव नहीं बल्कि किसान नेताओं से मिले फीडबैक के संदर्भ में था

चंडीगढ़(अश्वनी): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कृषि कानूनों के प्रस्तावित निलंबन के विस्तार संबंधी मीडिया के उस बयान को ‘गलत व्याख्या’ करार देते हुए कहा कि मुद्दे पर उनके पक्ष के प्रति गलत प्रभाव देने के लिए बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।

मुख्यमंत्री ने कुछ किसान नेताओं की उनके (मुख्यमंत्री) द्वारा आंदोलन में दखल देने की कोशिश करने की आशंकाओं को रद्द करते हुए कहा कि उनके इंटरव्यू से यह संदेश पहुंचाने की कोशिश पूरी तरह गलत है जैसे मुद्दे पर बाकी बयान से स्पष्ट होता है। कैप्टन अमरेंद्र ने कहा कि चाहे कि उन्होंने स्पष्ट तौर पर किसी भी दखलअंदाजी या सीधे तौर पर मध्यस्थता जब तक दोनों पक्षों की तरफ से नहीं मांगी गई, से इन्कार कर दिया था। संबंधित इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था, ‘जहां तक मैं समझता हूं वह यह है कि कुछ किसान नेता खेती कानूनों को 18 महीनों के लिए रोकने के लिए सहमत हैं परंतु जिनकी मियाद 24 माह तक भी बढ़ाई जाने की संभावना हो सकती है।’ उन्होंने यह भी कहा था कि जिस समय सीमा तक कानूनों पर रोक लगाने की बात हो रही है, वह पक्ष लगातार चर्चा का विषय है (सरकार और किसान यूनियन के दरमियान)।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका बयान स्पष्ट तौर पर कुछ किसान यूनियनों के मुद्दे पर फीडबैक के संदर्भ में था जिसे तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए समझौते के लिए निजी सुझाव के तौर पर पेश किया गया। इस मसले का जल्द हल पंजाब की सुरक्षा के लिए बहुत नाजुक है जहां 5-6 माह में सरहद पार से हथियारों की तस्करी में वृद्धि हुई है। यह फैसला किसानों को ही करना पड़ेगा कि उनके हित में क्या है और किस हद तक खेती कानूनों को रद्द करने की मांग पर समझौता करें, यदि वास्तव में इस तरह चाहते हैं। उन्होंने दोहराया कि केंद्र को इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए और संकट के प्रभावशाली व लंबे समय के हल के लिए कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार होना चाहिए।

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आयोग के वाइस चेयरमैन का दावा झूठा और बेबुनियाद
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार के दावे पर हैरानी जाहिर की कि नीति आयोग की मीटिंग में किसी ने भी खेती कानूनों बारे बात नहीं की। उन्होंने कहा कि हालांकि सेहत ठीक न होने के कारण वर्चुअल कांफ्रैंस में निजी तौर पर शामिल नहीं हो सके थे परंतु भाषण में खेती कानूनों के मुद्दे को स्पष्ट तौर पर उभारा था। आयोग के वाइस चेयरमैन के दावे को झूठा और बेबुनियाद करार देते हुए पूरी तरह और स्पष्ट तौर पर रद्द करते हुए इस बात की जरूरत पर जोर दिया कि किसानी मसले का हल तत्काल तौर पर करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका और उनकी सरकार का स्टैंड खेती कानूनों बारे हर मंच से एक समान ही रहा है और विधानसभा में पास किए गए प्रांतीय संशोधन बिल स्टैंड की पुष्टि करते हैं।

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