शहर में पाबंदी के आदेशों की उड़ी धज्जियां, खुलेआम सड़कों पर...

Edited By Sunita sarangal,Updated: 14 Oct, 2025 06:08 PM

shepherds walking on roads with animals

हालांकि जिला प्रशासन ने उपरोक्त प्रतिबंधित आदेश जारी किए हुए हैं,

नूरपुरबेदी(भंडारी): रूपनगर जिला प्रशासन द्वारा मवेशियों को सड़कों के किनारे चरने और उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर खुले रूप में लेजाने से रोकने के लिए जारी किए गए पाबंदी के आदेश हवा हो गए लगते हैं। इसकी एक मिसाल नूरपुरबेदी-गढ़शंकर मुख्य मार्ग पर घूम रहे भैंसों के झुंड को देखने से मिली है।

गौरतलब है कि रूपनगर प्रशासन द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत प्राप्त शक्तियों का हवाला देते हुए समय-समय पर रूपनगर ज़िले के शहरों, कस्बों और गांवों की सभी सड़कों के किनारे मवेशियों के चरने पर प्रतिबंध लगाने और इन मवेशियों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर खुले रूप से लेजाने पर रोक लगाने के आदेश जारी किए जाते हैं।

बहरहाल, आज जब नूरपुरबेदी क्षेत्र में गढ़शंकर मुख्य मार्ग पर देखा गया तो डेरे वालों द्वारा सैकड़ों भैंसों को सड़क पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा रहा था। गौरतलब है कि आमतौर पर चरवाहे बड़ी संख्या में भैंसों और अन्य पशुओं को लेकर सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। जिससे न केवल सड़कों के किनारे लगी फसलों और पौधों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि ये मवेशी आम जनता और राहगीरों के लिए भी काफी परेशानी का सबब बनते हैं। इन मवेशियों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की खबरें अकसर सुनने को मिलती रहती हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने उपरोक्त प्रतिबंधित आदेश जारी किए हुए हैं, लेकिन इन आदेशों को लागू करवाने की जिम्मेदारी किसकी है, यह प्रशासन के साथ-साथ लोगों को भी पता नहीं है।

आदेशों को मजाक समझने वाले अधिकारियों की हो जवाबदेही तय

इस संबंध में क्षेत्र की विभिन्न हस्तियों ने कहा कि अगर इन प्रतिबंधों को लागू ही नहीं करना है, तो आदेश जारी करने का क्या फायदा। उन्होंने कहा कि चरवाहों को अपने मवेशियों को बाहर निकालकर खुला घूमने की बजाय उन्हें खेतों अथवा बाड़ों में बांधकर रखना चाहिए ताकि कोई दुर्घटना न हो। उन्होंने कहा कि प्रशासन को ऐसे पशुपालकों को कानून-व्यवस्था के प्रति जागरूक करने के लिए प्रयास करने चाहिए और इन आदेशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, इन आदेशों का मखौल उड़ाने वाले अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जानी चाहिए। गौरतलब है कि पिछले दिनों जब क्षेत्र में भारी मात्रा में पशुधन चोरी हुए थे, तब पुलिस प्रशासन ने किसानों और आम लोगों पर ऐसे पशुपालकों को अपनी जमीन न देने का दबाव भी बनाया था। जिसमें प्रशासन काफी हद तक कामयाब भी रहा था। लेकिन अब उक्त चरवाहों ने फिर से लोगों के खेतों में डेरा जमा लिया है।

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