Punjab नगर निगम चुनाव, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

Edited By Kalash,Updated: 06 Nov, 2024 10:56 AM

punjab municipal corporation elections

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आए करीब पौने 5 साल का समय हो चुका है।

जालंधर : पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आए करीब पौने 5 साल का समय हो चुका है। इस अवधि के दौरान पंजाब के नगर निगमों और काउंसिलों इत्यादि के चुनाव नहीं करवाए गए, जिस कारण पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एक फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि 15 दिन के भीतर नगर निगम चुनाव संबंधी शेड्यूल जारी किया जाए और इसकी सूचना उच्च न्यायालय को दी जाए। हाईकोर्ट के आदेश आए 15 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है परंतु पंजाब सरकार ने अभी तक राज्य में नगर निगम चुनाव संबंधी कोई शेड्यूल जारी नहीं किया है।

दूसरी ओर आज पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे डाली और राज्य सरकार की ओर से एक एस.एल.पी (स्पेशल लीव पिटिशन) दायर कर दी गई। एस.एल.पी. नंबर 51131/ 2024 में संभवत यह तर्क दिया गया है कि फगवाड़ा नगर निगम संबंधी एक याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और उसपर अभी कोई फैसला नहीं आया है परंतु हाईकोर्ट ने सभी निगम चुनावों का शेड्यूल जारी करने के निर्देश दे दिए हैं।

यह एस.एल.पी. स्टेट ऑफ पंजाब बनाम बेअंत कुमार के टाइटल से दायर की गई है। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट कर लिया गया है और जल्द इस पर सुनवाई संभावित है। माना जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्त्ताओं के तर्क से सहमत होते हुए स्टे आर्डर जारी कर दिया तो पंजाब में नगर निगम चुनावों में और कई महीनों की देरी हो सकती है। राजनीतिक क्षेत्रों में तो यह भी चर्चा है कि सुप्रीम कोर्ट में यह केस एक प्रसिद्ध वकील (जो कांग्रेस के पदाधिकारी रहे हैं) द्वारा लड़ा जाएगा।

जालंधर निगम की वार्डबंदी नए सिरे से करवाना चाह रही है सरकार

कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो पंजाब सरकार जालंधर नगर निगम की वार्डबंदी को नए सिरे से करवाना चाह रही है और सुप्रीम कोर्ट में दायर एस.एल.पी. में भी इस संबंधी तर्क दिया गया है। पता चला है कि जालंधर निगम की नई वार्डबंदी के लिए माननीय अदालत से 16 सप्ताह का वक्त भी मांगा गया है। कानूनी विशेषज्ञ ही बताते हैं कि पिछले दिनों जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में निगम चुनाव केस बाबत सुनवाई हुई थी तब भी पंजाब के एडवोकेट जनरल ने जालंधर निगम की नई वार्डबंदी संबंधी दस्तावेज पेश किए थे, जिस पर माननीय अदालत ने आदेश सुनाया था कि पुरानी वार्डबंदी के आधार पर की निगम चुनाव करवाए जाएं।

अदालती आदेश के मुताबिक 2023 में नोटिफाई हुई वार्डबंदी को ही पुरानी वार्डबंदी कहा गया था परंतु ज्यादातर लोगों ने यह समझ लिया कि अदालत ने पुरानी यानी 2017 में हुई वार्डबंदी के आधार पर चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं। खास बात यह है कि 2023 में जालंधर निगम की जो नई वार्डबंदी हुई थी उसमें भी सुशील रिंकू जैसे नेताओं का काफी हस्तक्षेप रहा था जो अब 'आप' को छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं। क्योंकि यह वार्डबंदी ज्यादातर रिंकू समर्थकों को फायदा पहुंचाती दिख रही थी इसलिए माना जा रहा है कि पंजाब सरकार जालंधर निगम की अब एक और नई वार्डबंदी करवाना चाह रही है। आने वाले दिनों में इस बाबत सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

हम भी जल्द सुप्रीम कोर्ट जाएंगे : एडवोकेट ईशर

जालंधर नगर निगम की वार्डबंदी में कर्मियों और मनमानी को लेकर एडवोकेट परमिंदर सिंह विग इत्यादि ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हरिंदर पाल सिंह ईशर के माध्यम से जो याचिका दायर कर रखी है, उस बाबत भी सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी. दायर हो सकती है। एडवोकेट हरिंदर पाल सिंह ईशर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जहां हाईकोर्ट का फैसला पूरी तरह से स्पष्ट नहीं था, वहीं अब पंजाब सरकार ने खुद वार्डबंदी में रही कमियों को स्वीकार कर लिया है।

निगम चुनाव को लेकर उपजे अदालती चक्रव्यूह से एक बात स्पष्ट हो गई है कि जालंधर निगम के आगामी चुनाव किसी भी सूरत में 2017 वाली वार्डबंदी के आधार पर नहीं होंगे। अगर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की याचिका से सहमति दिखाई तो जालंधर निगम की नई सिरे से वार्ड बंदी होगी और अगर उच्चतम न्यायालय असहमत दिखा तो 2023 यानी 85 वार्डों वाली वार्डबंदी के आधार पर ही चुनाव होंगे। फिलहाल सब कुछ अगली सुनवाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है।

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