Edited By Vatika,Updated: 01 Jan, 2025 09:33 AM
पंजाब के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य
चंडीगढ़: पंजाब के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने मंगलवार को एक एंड्रॉइड मोबाइल एप्लीकेशन स्टेट हैल्थ एजैंसी पंजाब लांच किया। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके व्यक्ति अब अपने मोबाइल फोन के माध्यम से आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए अपनी पात्रता की आसानी से जांच कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह ऐप इस योजना से संबंधित सूचीबद्ध सरकारी और निजी अस्पतालों की जानकारी भी प्रदान करता है, जहां जरूरतमंद लोग इस सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज करवा सकते हैं। डा. बलबीर सिंह ने बताया कि पंजाब में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 1.68 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत हैं। इनमें से लगभग 88 लाख लाभार्थी पहले ही अपने ई-कार्ड बनवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही यह महत्वपूर्ण सुविधा एक विशेष योजना है क्योंकि इसमें उन लाखों अतिरिक्त व्यक्तियों को भी शामिल किया गया है जो आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर नहीं किए जाते। आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में जे-फॉर्म वाले किसान, छोटे व्यापारी, स्मार्ट राशन कार्ड धारक, श्रम बोर्ड में पंजीकृत निर्माण मजदूर और मान्यता प्राप्त पत्रकारों सहित लगभग 45 लाख परिवार शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि पहले आम लोगों को स्वास्थ्य बीमा योजना संबंधित कार्यों के लिए अपनी पात्रता का पता लगाने हेतु सरकारी अस्पतालों या सेवा केंद्रों में जाना पड़ता था। अब पंजाब सरकार द्वारा प्रदान की गई इस महत्वपूर्ण सुविधा के माध्यम से पंजाब के लोग मोबाइल ऐप के जरिए घर बैठे ही आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए अपनी पात्रता की जांच कर सकते हैं। डा. बलबीर सिंह ने पंजाबवासियों को स्टेट हैल्थ एजेंसी पंजाब ऐप पर अपनी पात्रता की जांच कर अपने कार्ड बनवाने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रबंधकीय सचिव कुमार राहुल, सी.ई.ओ. स्टेट हैल्थ एजेंसी बबीता, निदेशक मैडीकल शिक्षा एवं अनुसंधान डा. अवनीश कुमार और पंजाब इंस्टीच्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलियरी साइंसेज के डा. वरिंद्र सिंह भी उपस्थित थे।