मौसम के करवट लेते ही Active हुआ ये Virus, 10 साल के बच्चों को बना रहा शिकार

Edited By Vatika,Updated: 23 Oct, 2024 08:53 AM

influenza virus in weather

सरकारी अस्पतालों तथा प्राइवेट डॉक्टरों के पास बड़ी तादाद में ऐसे बच्चे आ रहे हैं।

अमृतसर(दलजीत): मौसम के करवट लेते ही इन्फ्लूएंजा वायरस सक्रिय हो गया है और 2 महीने से 10 साल के बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। सरकारी अस्पतालों तथा प्राइवेट डॉक्टरों के पास बड़ी तादाद में ऐसे बच्चे आ रहे हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण कोरोना वायरस से मिलते जुलते हैं। अभिभावक यदि उक्त वायरस को हल्के में लेते हैं तो कई बार यह वायरस बच्चों के लिए घातक भी हो सकता है।

जानकारी के अनुसार मौसम के करवट लेते ही इन्फ्लूएंजा वायरस तेजी से फैल रहा है, जो अक्तूबर से मई तक असर दिखाता है। पिछले समय कोरोना वायरस भी एकदम तेजी से फैला था। तब भी लोगों में जागरूकता की कमी से कई मरीजों की जान चली गई थी, परंतु अब इन्फ्लूएंजा वायरस कोरोना वायरस से मिलते जुलते लक्षणों वाला सामने आने लगा है। इन्फ्लूएंजा श्वास मनाली से संबंधित बीमारी को फ्लू भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस से होती है। इससे सिर और शरीर में दर्द, गले में खराश, बुखार व सांस जैसे लक्षण होते हैं, जो गंभीर हो सकते हैं। फ्लू सर्दी के महीनों में सबसे आम है, जब कई लोग एक साथ बीमार हो सकते हैं। सबसे ज़्यादा मामले दिसम्बर और फरवरी के बीच होते हैं। सरकारी मैडीकल कॉलेज के अधीन बच्चा विभाग तथा अन्य स्वास्थ्य विभाग के सरकारी अस्पतालों की बात करें तो वहां पर बड़ी तादाद में उक्त लक्षण वाले बच्चे उपचार के लिए अभिभावक लेकर आ रहे हैं। यहां तक कि जिले के प्रसिद्ध छाती रोग विशेषज्ञों के पास भी उक्त लक्षण वाले बच्चे उपचार पाने के लिए आ रहे हैं।


एक जैसे हो सकते हैं फ्लू व सामान्य सर्दी में अंतर
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के टी.बी. कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी व छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश चावला ने बताया कि फ्लू व सामान्य सर्दी के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, जैसे बहती नाक व खांसी, लेकिन सर्दी के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और फ्लू के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। अलग-अलग वायरस सर्दी और फ्लू का कारण बनते हैं। कुछ स्वास्थ्य स्थितियां आपको फ्लू से गंभीर बीमारी के जोखिम में डाल सकती हैं, जिनके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। अस्थमा, सी.ओ.पी.डी. या अन्य दीर्घकालिक फेफड़ों की बीमारी, इसके अलावा स्ट्रोक सहित किडनी, लीवर, न्यूरोलॉजिकल, हृदय या रक्त वाहिकाओं की बीमारी वाले मरीज फ्लू की जकड़ में आने से गंभीर अवस्था में पहुंच सकते हैं।
 

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