बरनाला में भिखारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय, प्रशासन से सख्त कार्रवाई की उठी मांग

Edited By Kalash,Updated: 30 Dec, 2025 06:22 PM

increasing number of beggars in barnala

शहर में इन दिनों भिखारियों की तेजी से बढ़ती संख्या स्थानीय निवासियों और प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

बरनाला (विवेक सिंधवानी, रवि, उमेश): शहर में इन दिनों भिखारियों की तेजी से बढ़ती संख्या स्थानीय निवासियों और प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। शहर के मुख्य चौराहों, धार्मिक स्थलों और बाजारों में भिखारियों के बढ़ते जमावड़े ने आम जनजीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन से इस दिशा में सख्त कदम उठाने की अपील की है, क्योंकि इन परिस्थितियों में न केवल सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ रही है, बल्कि बच्चों के शोषण का मामला भी गहराता जा रहा है।

शहर के हर कोने में फैला है 'भिक्षावृत्ति' का जाल

बरनाला शहर के हृदय स्थल कहे जाने वाले कचहरी चौक, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और सदर बाजार जैसे क्षेत्रों में सुबह से ही भिखारियों की टोलियां सक्रिय हो जाती हैं। विशेष रूप से बरनाला-बठिंडा रोड और लुधियाना हाईवे पर छोटे-छोटे बच्चों को गाड़ियों के आगे खड़े देखा जा सकता है, जिससे हादसों का डर बना रहता है।

हैरानी की बात यह है कि देर रात तक भी शहर के फास्ट फूड स्टॉलों और रेस्टोरेंट्स के बाहर महिलाओं और बच्चों का जमावड़ा लगा रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब यह समस्या केवल व्यक्तिगत मजबूरी नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क का रूप लेती जा रही है।

संगठित गिरोहों का हाथ होने की आशंका; डीएनए टेस्ट की मांग

सामाजिक कार्यकर्ताओं और शहर के प्रबुद्ध नागरिकों का मानना है कि इस बढ़ती संख्या के पीछे संगठित गिरोहों का हाथ है। यह संदेह इसलिए गहराता है क्योंकि कई बार भिक्षा मांगती महिलाओं की गोद में जो मासूम बच्चे होते हैं, वे उनसे मेल नहीं खाते।

पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में अन्य जिलों में शुरू की गई मुहिम का हवाला देते हुए मांग की गई है कि

* संदिग्ध भिखारियों के साथ मौजूद बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जाए ताकि यह पता चल सके कि वे बच्चे उनके अपने हैं या कहीं से अगवा किए गए हैं।

* भिक्षावृत्ति के पीछे काम करने वाले मुख्य सरगनाओं की पहचान कर उन पर कानूनी शिकंजा कसा जाए।

विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों की राय

1. बच्चों की शिक्षा पर जोर (शिक्षाविद)

शिक्षाविदों का कहना है कि कानून के अनुसार हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा और सुरक्षित बचपन का अधिकार है। छोटे बच्चों को सड़कों पर भीख मांगते देख समाज का जमीर झकझोरता है। प्रशासन को चाहिए कि इन बच्चों को रेस्क्यू कर सरकारी स्कूलों में दाखिल कराया जाए ताकि उनका भविष्य संवर सके।

2. रोजगार से जोड़ने का सुझाव

समाजसेवकों ने सुझाव दिया है कि केवल सख्ती से समस्या हल नहीं होगी। जो लोग वास्तव में जरूरतमंद हैं, प्रशासन को उन्हें जागरूक कर मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत काम देना चाहिए। यदि उन्हें सम्मानजनक रोजगार मिलेगा, तो वे भिक्षावृत्ति के दलदल से बाहर निकल सकेंगे।

3. जनता से अपील - "भीख देना बंद करें"

व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि जब तक लोग सहानुभूति में आकर भीख देते रहेंगे, तब तक यह धंधा बंद नहीं होगा। उन्होंने अपील की है कि

अगर लोग सड़कों पर पैसे देना बंद कर दें और उसके स्थान पर दान किसी संस्था या स्कूल को दें, तो भिखारियों की संख्या अपने आप कम हो जाएगी।"

प्रशासन की जिम्मेदारी और आगामी कदम

जिला प्लानिंग बोर्ड और स्थानीय नेताओं ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन को और अधिक सक्रिय होने की अपील की है। मांग की गई है कि पुलिस विभाग और बाल कल्याण विभाग मिलकर एक संयुक्त अभियान चलाएं। जो माता-पिता अपने बच्चों को इस धंधे में धकेल रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

बरनाला को एक स्वच्छ और सुरक्षित शहर बनाने के लिए भिक्षावृत्ति जैसी कुरीति को जड़ से मिटाना अनिवार्य है। इसके लिए प्रशासन की सख्ती और जनता की जागरूकता, दोनों का तालमेल होना जरूरी है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या भविष्य में अपराध की अन्य शाखाओं को भी जन्म दे सकती है।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!