इस्तीफा देने के 4 महीने बाद फूलका पंजाब विधानसभा सत्र में हुए शामिल

Edited By Vaneet,Updated: 13 Feb, 2019 09:23 PM

four months after the resignation phoola punjab assembly session

विधायक के तौर पर इस्तीफा देने के कई महीने बाद वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फूलका बुधवार को पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में शामिल हुए। वहीं विपक्षी दल शिरोमणि...

चंडीगढ़: विधायक के तौर पर इस्तीफा देने के कई महीने बाद वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फूलका बुधवार को पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में शामिल हुए। वहीं विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल ने सदन के बाहर उन पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या वह अभी भी एक विधायक हैं।          

फूलका ने लगभग चार महीने पहले आम आदमी पार्टी (आप) छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि वह अभी भी एक विधायक हैं और अकाली दल को इसलिए ‘‘दिक्कत’’ है क्योंकि वह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को ‘‘राजनीतिक प्रभाव’’ से ‘‘मुक्त’’ करने की दिशा में काम कर रहे हैं। फूलका ने संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मेरा इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। इसलिए मैं अभी भी एक विधायक हूं। अकाली दल को जो परेशान कर रहा है वह (केंद्र द्वारा लिखा गया) यह पत्र है। जहां तक एसजीपीसी का सवाल है, हम उसे राजनीतिक प्रभाव से मुक्त कराना चाहते हैं। यह एक धार्मिक संस्था है, उसे धार्मिक कार्य करना चाहिए ओर उसका नियंत्रण धार्मिक लोगों को सौंपा जाना चाहिए।’’ 

फूलका 1984 ‘‘सिख विरोधी’’ दंगों के पीड़ितों के मामले की पैरवी करने के लिए जाने जाते हैं। वह यहां पंजाब विधानसभा सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही में शामिल हुए और एसजीपीसी चुनाव कराने का मुद्दा उठाया। राज्यपाल के संबोधन पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने सदन को सूचित किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा था जिसके जवाब में केंद्र की ओर से जवाब आया है जिसमें कहा गया है कि वर्तमान एसजीपीसी का कार्यकाल दिसम्बर 2016 में समाप्त हो गया था। उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता फूलका ने सदन से एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की जिसमें केंद्र सरकार से एसजीपीसी चुनाव जल्द कराने के लिए एक मुख्य आयुक्त नियुक्त करने का अनुरोध हो। फूलका ने इसके साथ ही धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी और पंजाब के नाकोदर में गोलीबारी की घटनाओं पर न्यायमूर्ति गुरनाम सिंह की रिपोर्ट का मुद्दा भी सदन में उठाया।
          
विधानसभाध्यक्ष राणा के.पी सिंह ने सदन को सूचित किया कि रिपोर्ट 2001 में पेश की गई थी लेकिन कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) पेश नहीं की गई है जिस पर फूलका ने कहा कि रिपोर्ट और एटीआर साथ साथ रखी जानी चाहिए थी। बाद में अकाली दल ने फूलका पर निशाना साधा और कहा कि सदन में उनकी मौजूदगी ने उन्हें ‘‘भ्रमित’’ किया और विधानसभाध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह विधायक के इस्तीफे पर स्थिति स्पष्ट करें। 

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