Edited By Urmila,Updated: 06 Jul, 2022 02:43 PM
कपास की फसल पर गुलाबी सूंडी के हमले से मालवा में किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई है। कपास की बुवाई पर हजारों खर्च करने के बावजूद किसान कपास पर ट्रैक्टर चलाने...
तलवंडी साबो (मुनीष): कपास की फसल पर गुलाबी सूंडी के हमले से मालवा में किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई है। कपास की बुवाई पर हजारों खर्च करने के बावजूद किसान कपास पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं। ताजा मामला तलवंडी साबो के गांव जंबरबस्ती का है जहां एक किसान ने गुलाबी सूंडी के हमले के बाद कपास पर ट्रेक्टर चला दिया और सरकार से मुआवजे की मांग भी की है।
जिक्रयोग्य है कि मालवा में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान कपास की फसल पर गुलाबी सूंडी के हमले से कपास की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई थी। किसान संगठनों द्वारा संघर्ष के बाद किसानों को मुआवजा दिया गया लेकिन कई किसान अभी भी मुआवजे के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं परंतु इस बार भी कपास की फसल बढ़ने से पहले ही गुलाबी सूंडी ने हमला कर दिया है।
गांव जंबरबस्ती में किसान गुरजीत सिंह और दारा सिंह ने जमीन ठेके पर लेकर उसमें से 3 एकड़ जमीन में कपास की बुवाई की थी। हालांकि कपास की जल्दी बुवाई के कारण किसान को दो बार स्प्रे करनी पड़ी जबकि कपास के फूलों पर गुलाबी सूंडी का हमला होने के बाद किसान की चिंता बढ़नी शुरू हो गई।
किसानों ने कहा कि वे कई दिनों से खेत में थे और उन्होंने देखा कि गुलाबी सूंडी हर फूल में घुस गई थीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि 55 हजार एकड़ जमीन ठेके पर ली थी और कई हजार रुपए की लागत से कपास की बुवाई की थी। किसानों का आरोप है कि उन्होंने कई बार कृषि विभाग को इसकी सूचना दी, लेकिन कोई उनकी मुश्किलें देखने-सुनने कोई नहीं आया। पीड़ित किसानों ने अब अपने नुकसान के लिए सरकार से मुआवजे की मांग की है।
भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल टिकैत के महासचिव ने कहा कि सरकार और कृषि विभाग खानापूर्ति करने के लिए गांवों में किसान शिविर लगा रहे हैं जबकि सरकार को चाहिए कि वह किसानों को मुफ्त दवा या अन्य सुविधाएं मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि पहले भी किसान कपास के मुआवजे से वंचित थे, दूसरी कपास पर गुलाबी सूंडी के हमले के बाद किसानों ने कपास की फसल पर ट्रेक्टर चला दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने पीड़ित किसानों की मुश्किलों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ कड़ा संघर्ष करने को मजबूर होंगे।
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