Edited By Urmila,Updated: 09 Dec, 2021 11:17 AM

बैंक में एफ.डी. तुड़वाने के लिए बैंक पहुंचे पति-पत्नी के खाते में से साइबर ठगों ने 6 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी मारी। पति-पत्नी दो महीने तक बैंक के चक्कर मारते रहे। कोई हल नहीं निकल सका।
अमृतसरः बैंक में एफ.डी. तुड़वाने के लिए बैंक पहुंचे पति-पत्नी के खाते में से साइबर ठगों ने 6 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी मारी। पति-पत्नी दो महीने तक बैंक के चक्कर मारते रहे। कोई हल नहीं निकल सका। पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो उन्होंने बैंक की तरफ से जमा करवाई रकम वापस करने के लिए मेल भेज दी। थाना ए डिवीजन की पुलिस ने यू.पी निवासी सरोज और अनामिका खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। आशा और विजय अरोड़ा जोड़े ने पुलिस को बताया कि इस साल 17 सितम्बर को उनके साथ ऑनलाइन ठगी हुई थी। दोनों ने इंडसइंड बैंक में फिक्सड डिपाजिट किया था और 16 सितम्बर को उसकी एफ.डी. मेच्योर हो गई थी। यह 6 लाख 23 हजार की राशि थी। जब वह एफ.डी. के पैसे लेने के लिए बैंक पहुंचा तो उसने तुरंत पैसे ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया।
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बैंक ने कहा कि यह एफ. डी. ऑनलाइन है और इसमें कुछ दिन लगेंगे। अगले दिन सुबह उसके मोबाइल पर खाते में से पैसे ट्रांसफर करने का मेसेज आया। जब वह बैंक गया तो देखा कि उसके खाते में से 11 बार पैसे निकलवा लिए गए। उसकी एफ.डी. की रकम दो बैंक खातों में ट्रांसफर की गई थी और पैसे निकलवाने वाले लोगों के खाते भी उसी बैंक में थे। विजय ने बताया कि उसने तुरंत बैंक के साथ संपर्क किया। बैंक वालों ने भी उसकी बात नहीं सुनी। जब उन्होंने पुलिस को शिकायत की तो मामले की जांच में सामने आया कि जिन दो बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए थे, वह दोनों इंडसइंड बैंक के थे।
शिकायत पर बैंक का जवाब
यदि आपके खाते में से पैसे निकलवाए गए हैं तो यह आपकी गलती है। पीड़ित जोड़े ने बैंक पहुंच कर दोनों खातों में से पैसे वापस करने की अपील की, जिस पर बैंक ने जवाब दिया कि आपके खाते में से पैसे निकलवाए गए हैं। यह खाता ग्राहक की गलती है। विजय कुमार ने बताया कि पुलिस जांच में बैंक की की तरफ से धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। उसकी एफ.डी. तोड़ने की बात से अगले दिन खाते में से मोबाइल नंबर और ई-मेल बदल लिया गया।
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इतना ही नहीं लाभपात्रियों को उनकी तरफ से दो नए खाते जोड़े गए, जिनका कोई संदेश उनको बैंक से नहीं मिला। उसने भारतीय रिजर्व बैंक के लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने इस मामले में बैंक के साथ भी बात की है। इसके बाद बैंक अढ़ाई महीने बाद विजय कुमार के खाते में ट्रांसफर की रकम वापस करने के लिए राजी हो गया है। विजय अपनी एफ.डी. के पैसों का इंतजार कर रहा है। पुलिस का कहना है कि जब किसी के मोबाइल पर कोई ट्रांसफर मेसेज नहीं आता तो निश्चित रूप से बैंक का कोई न कोई कर्मचारी इस धोखाधड़ी में शामिल हो सकता है।
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