Edited By Kamini,Updated: 13 Apr, 2022 07:12 PM

पंजाब के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पिछले 8 साल से मामूली वेतन पर मेहनत से काम कर रहे ई.जी.एस. स्वयंसेवकों और शिक्षा प्रदाता ............
संगरूर (विजय कुमार सिंगला) : पंजाब के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पिछले 8 साल से मामूली वेतन पर मेहनत से काम कर रहे ई.जी.एस. स्वयंसेवकों और शिक्षा प्रदाता शिक्षकों ने शिक्षा अधिकारियों को अपना इस्तीफा भेजना शुरू कर दिया है। हाल के दिनों में पंजाब के विभिन्न प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले 3 शिक्षकों ने इस आधार पर अपना इस्तीफा दे दिया है कि उन्हें पिछले 8 वर्षों से केवल 6 हजार रुपए प्रति माह का वेतन मिल रहा है। इससे घर का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है।
जसबीर सिंह शिक्षा प्रदाता सरकारी प्राइमरी स्कूल लोहाखेड़ा जिला संगरूर, रूपिंदर कौर ई.जी.एस. स्वयंसेवी सरकारी प्राइमरी स्कूल मौड़ा जिला बरनाला एवं बलजीत कौर ई.जी.एस. स्वयंसेवी सरकारी प्राइमरी स्कूल जब्बोवाल जिला कपूरथला ने इस्तीफा दिया है। इन्होंने लिखा कि यह पिछले 8 वर्षों से सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वह अपना वेतन बढ़ाने और रैगुलर पोस्ट पाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उस समय की सरकारों ने अब तक उनकी एक नहीं सुनी।

उल्लेखनीय है कि बलजीत कौर ई. जी. एस. स्वंयसेवक की तरफ से इस्तीफा देने के बाद सरकारी प्राइमरी स्कूल जब्बोवाल में केवल एक शिक्षक बचा है। पंजाब सरकार के नियमों के अनुसार किसी भी सरकारी स्कूल में एक शिक्षक ड्यूटी पर तैनात नहीं किया जा सकता क्योंकि अगर सरकारी शिक्षक ने छुट्टी लेने हो तो स्कूल के काम के लिए बाहर जाना है तो उस समय स्कूल बंद करना पड़ता है। ई.टी.टी. टेट पास कच्चे टीचर्स यूनियन पंजाब जिला संगरूर के नेताओं ने एक बैठक की और अतीत से अब तक कच्चे शिक्षकों के प्रति सरकारों की नीति का जोरदार विरोध किया।

संघ के नेता समरजीत सिंह मनसा, गुरदीप सिंह फाजिल्का, बलकार सिंह पटियाला, दलजीत सिंह बठिंडा, सरबजीत सिंह मोहाली आदि ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने चुनाव के दौरान इन शिक्षकों से वादा किया था कि जब उनकी सरकार आएगी तो इन कच्चे शिक्षकों को उनका वेतन दिया जाएगा। पहली कैबिनेट बैठक में 36,000 रुपए वेतन तय किया जाएगा। नेताओं ने कहा कि अब इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले कच्चे शिक्षकों को नियमित किया जाए और उनका वेतन बढ़ाया जाए।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि एक तरफ सरकार अभिभावकों को अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने के लिए राजी कर रही है तो दूसरी तरफ सरकारी स्कूल के शिक्षक कम वेतन के कारण नौकरी से इस्तीफा देकर घर जा रहे हैं। नेताओं ने सरकार से मांग की कि सरकारी स्कूलों का चेहरा बदलने के लिए इन शिक्षकों को नियमित किया जाए।
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