सरना व जीके ने की अकाल तख्त जत्थेदार व शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग

Edited By Kamini,Updated: 28 Jan, 2022 04:26 PM

demand for resignation of akal takht jathedar and shiromani committee president

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बीते शनिवार को हुए जनरल सत्र दौरान विपक्ष दल के कमेटी मैंबरों को दिल्ली पुलिस............

जालंधर : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बीते शनिवार को हुए जनरल सत्र दौरान विपक्ष दल के कमेटी मैंबरों को दिल्ली पुलिस द्वारा चल रहे सत्र में जबरदस्ती बाहर निकालने का मामला गर्मा गया है। इस मामले को लेकर आज दिल्ली कमेटी के पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना और मंजीत सिंह जीके ने एक स्थानीय होटल में प्रेस कॉन्फ्रैंस को संबोधित किया। दोनों नेताओं ने दावा किया कि कमेटी प्रधान हरमीत सिंह कालरा द्वारा अपने मैंबरों के क्रॉस वोटिंग की आशंकाओं को दूर करने के लिए विपक्ष कमेटियों के सदस्यों को बाहर निकालने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए कालका ने 30 मैंबरों के हस्तात्क्षरों से पुलिस फोर्स मांगने हेतु डायरैक्टर दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव बोर्ड को पत्र लिखा था। इसमें 29वें नंबर पर शिरोमणि कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी के हस्ताक्षर भी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में हुए अधिवेशन में प्रथम आधिपत्य वाले दल के बीच एक मत को लेकर अनावश्यक वैचारिक टकराव पैदा हो गया। फिर 11 घंटे तक जिद पर अमल करने के लिए पुलिस को बुलाया गया।

सरना ने कहा कि दिल्ली कमेटी के कार्यालय में वर्दी व जूतों सहित पुलिस कर्मियों को दाखिल किया गया। हो सकता है पुलिस कर्मियों की जेब में तंबाकू, सिगरेट और बीड़ी भी साथ ही हों। इस पूरे मामले में शर्मनाक बात यह है कि शिरोमणि कमेटी के प्रधान ने गुरु महाराज की उपस्थिति में पुलिस अधिकारियों को घेराबंदी करने के लिए एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। सरना ने इस मामले में जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब की चुप्पी पर भी सवाल उठाया और ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इस्तीफे की मांग की। जीके ने शिरोमणि कमेटी के प्रधान के इस्तीफे की मांग की और पंजाब के मतदाताओं से बादल दल के उम्मीदवारों को वोट न देने की अपील की।

जीके ने दिल्ली कमेटी के नए पदाधिकारियों के पिछले प्रदर्शन का हवाला दिया और बताया कि इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने कहा कि अफसोस है कि भारतीय लोकतंत्र में शायद यह पहली बार है कि उनके प्रधान पद के उम्मीदवार परमजीत सिंह सरना और उनकी समर्थन कमेटी के सदस्यों को वोट देने की अनुमति नहीं दी गई है। यह 'लोकतंत्र' को 'लठ्ठतंत्र' में बदलने का एक प्रयास प्रतीत होता है, जिसका नेतृत्व पंथ के बड़े नेताओं द्वारा किया जा रहा है। जीके ने याद दिलाया कि वे लंबे समय से धार्मिक संस्थानों में राजनेताओं की भागीदारी का विरोध क्यों कर रहे हैं। अब दिल्ली कमेटी के सत्र के दौरान राजनेताओं ने कमेटी को संभालने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने में संकोच नहीं किया। क्योंकि उनका लक्ष्य गुरु का आचरण नहीं है।
 

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