Edited By Vatika,Updated: 05 Oct, 2019 09:14 AM
अकाली-भाजपा के नेता भले ही हरियाणा में गठबंधन टूटने का पंजाब में रिश्तों पर कोई असर न होने का दावा कर रहे हैं लेकिन 4 सीटों पर हो रहे उप चुनाव के दौरान गठबंधन में आई दरार का असर साफ देखने को मिल रहा है।
लुधियाना(हितेश): अकाली-भाजपा के नेता भले ही हरियाणा में गठबंधन टूटने का पंजाब में रिश्तों पर कोई असर न होने का दावा कर रहे हैं लेकिन 4 सीटों पर हो रहे उप चुनाव के दौरान गठबंधन में आई दरार का असर साफ देखने को मिल रहा है। यहां बताना उचित होगा कि 10 साल तक एक साथ सरकार में रहने के दौरान कुछ देर बाद अकाली-भाजपा के बीच खींचतान देखने को मिलती रही है लेकिन हर बार गठबंधन टूटने की नौबत आने पर हाईकमान के दखल के चलते विवाद हल हो जाता था।
अब यह दोनों पार्टियां पंजाब की सत्ता से बाहर हैं तो उनके बीच हरियाणा में होने जा रहे चुनाव को लेकर लड़ाई पैदा हो गई है। इसकी शुरूआत अकाली दल को डिमांड के मुताबिक टिकटों में हिस्सेदारी न मिलने से हुई और भाजपा द्वारा उसके एकमात्र विधायक को शामिल करने के फैसले ने आग में घी का काम किया। इसके जवाब में सुखबीर बादल ने भाजपा पर धोखा देने का आरोप लगाया है। यहां तक कि अकाली दल ने इनैलो के साथ गठबंधन करके भाजपा के हलका इंचार्ज को टिकट दे दी है। इसके बाद से वह भाजपा नेता एकाएक सक्रिय हो गए हैं जो लंबे समय से अकाली दल से अलग होकर चुनाव लडऩे की मांग कर रहे हैं।
हालांकि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्वेत मलिक ने हरियाणा के घटनाक्रम का पंजाब में अकाली दल के साथ रिश्तों पर कोई असर न होने का दावा किया है लेकिन रिश्तों में आई खटास का असर पंजाब की 4 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के दौरान देखने को मिल रहा है जिसके तहत पहले उम्मीदवारों के चयन को लेकर अकाली-भाजपा द्वारा आपस में कोई चर्चा नहीं की गई। अब दोनों पार्टियों का कोई बड़ा नेता एक-दूसरे के उम्मीदवार के हक में प्रचार करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। इससे भी बढ़कर उम्मीदवारों के होर्डिंग में एक-दूसरी पार्टियों के नेताओं की फोटो भी कम ही लगाई जा रही है।