नेताओं की मनमर्जी और वर्करों को इग्नोर करने की नीति ले डूबी भाजपा की नैया

Edited By Urmila,Updated: 02 Jun, 2023 11:58 AM

bjp s boat sunk due to the policy of ignoring the workers and the whims

जालंधर लोकसभा उपचुनाव के बाद राजनीतिक दल निकाय चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं।

जालंधर (अनिल पाहवा): जालंधर लोकसभा उपचुनाव के बाद राजनीतिक दल निकाय चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं लेकिन भाजपा के गले से फिलहाल इस लोकसभा उपचुनाव में की हुई गलतियों का बोझ नहीं उतर रहा। चुनावों के दौरान पार्टी के कई पदाधिकारियों की मनमर्जी और वर्करों को साथ मिलाकर न चलने की नीति का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा, इसी के कारण जालंधर से लेकर केंद्र तक इस हार की गूंज सुनाई पड़ रही है। वैसे तो कई पहलू इस मामले में अब तक उजागर हो चुके हैं लेकिन स्थानीय नेताओं की लापरवाहियों का चिट्ठा रोजाना सामने आ रहा है जिससे यह बात साफ हो गई है कि जालंधर का लोकसभा उपचुनाव हारने के लिए भाजपा का वर्कर नहीं बल्कि पार्टी के पदाधिकारी जिम्मेदार हैं। धन और राजनेताओं की भीड़ जालंधर में जुटी हुई थी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी आखिर क्यों हार गई, यह एक बड़ा सवाल हर वर्कर के जहन में उछल रहा है और शायद उसे रात को सोने नहीं दे रहा।

पहले से महंगा सामान तैयार करवाने की भी चर्चा

यही नहीं, सरकारी फंड का किस तरह से दुरुपयोग किया गया, उससे संबंधित भी कुछ जानकारी सामने आई है। खबर के अनुसार बूथ या चुनाव सैंटर पर बैठने वालों को बकायदा एक बैग तैयार करके दिया जाता है, जिसमें उसके क्षेत्र की वोटर लिस्ट और अन्य सामान होता है। यह इससे पहले के चुनावों में 200 रुपए प्रति बैग के हिसाब से तैयार करवाया जाता रहा है लेकिन अब जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार ये बैग लुधियाना की किसी कंपनी से तैयार करवाए गए और उसका खर्च कथित तौर पर प्रति बैग 500 के लगभग रहा जबकि कांग्रेस पार्टी ने वही बैग जालंधर से उसी 200 रुपए के लगभग रेट पर तैयार करवाए हैं। जब पार्टी पहले इस तरह के प्रबंध करती रही है, तो इस बार ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत ही क्या थी। 

टकसाली नेताओं की शमूलियत से बचते रहे भाजपाई

इस बार के लोकसभा उपचुनाव में यह बात भी सामने आई है कि पार्टी ने उस किसी भी नेता का इस्तेमाल नहीं किया, जिसके पास पिछले विधानसभा या लोकसभा चुनावों में काम करने का अनुभव हो। पार्टी के कुछ नेताओं की यही कोशिश थी कि नए आए युवाओं को ही काम पर लगाया जाए और माहिर तथा टकसाली नेताओं से किनारा बनाकर रखा जाए। यह भी संभव है कि नए युवा किंतु-परन्तु करने से गुरेज करते हैं, शायद इसी कारण टकसाली नेताओं की जगह युवाओं को ही काम पर लगाए रखा गया। इसके अलावा पार्टी के बहुत-से वर्कर घरों से निकले ही नहीं और न ही पार्टी ने उन्हें कोई जिम्मेदारी सौंपी। कुल मिलाकर जो लोग लगाए गए थे, वे शहर के 2-4 आलीशान होटलों तक ही सीमित थे, जबकि वोटर तक पहुंच करने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई।

आम वोटर से पूरी तरह ‘कट-ऑफ’ रहे नेता 

जालंधर लोकसभा उपचुनाव के लिए केंद्र की तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी गई थी।  स्थानीय नेताओं ने केंद्र से जो भी मदद मांगी, उसे मिली, लेकिन अब यहां काम तो प्रदेश या जिले की टीम ने ही करना था, वह नहीं हुआ। अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि जालंधर में हर वोटर के घर तक पहुंचने के लिए भाजपा ने एक मास्टर प्लान बनाया था। केंद्रीय नेतृत्व के हाईटैक कार्यकर्ताओं ने यह प्लान तैयार किया था, जिसमें बकायदा भाजपा उम्मीदवार की तरफ से एक अपील पत्र हर वोटर के घर जाना था। इसमें खास बात यह थी कि इस रंगदार अपील पत्र में बकायदा उस वोटर को संबोधित किया गया था। वोटर का नाम, पिता का नाम, सब उसमें पहले से ही प्रकाशित था। हैरानी की बात है कि ये अपील पत्र वोटरों तक पहुंचे ही नहीं। 

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