PAK में निकाह के बाद 90 फीसदी हिंदू लड़कियों से करवाई जाती है जिस्मफरोशी

Edited By swetha,Updated: 31 Jan, 2020 09:53 AM

90 of hindu girls get prostitution after marriage in pak

असैंबली में धूल फांकते विधेयक

जालंधर(सूरज ठाकुर): भले ही पाकिस्तान भारत के अल्पसंख्यकों का बेवजह रहनुमा बनकर पूरे विश्व में खुद को सही ठहराने की नाकाम कोशिशें कर रहा है लेकिन हकीकत यही है कि मुस्लिम कट्टरपंथी पाक से हिंदू अल्पसंख्यकों का वजूद खत्म करने पर तुले हुए हैं। पाकिस्तान में हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि मुस्लिम कट्टरपंथी धर्मांतरण और निकाह के बाद 90 फीसदी हिंदू लड़कियों का या तो कत्ल कर देते हैं या फिर उन्हें जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल देते हैं। हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों का धर्मांतरण व जबरिया निकाह ऐसे व्यक्तियों से करवाते हैं जो पहले से ही शादीशुदा होते हैं।

असैंबली में धूल फांकते विधेयक

मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में इमरान के सांसद डा. वांकवानी ने बताया कि उन्होंने नैशनल असैंबली में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल किए जाने को लेकर और जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने का विधेयक लाया है। डा. वांकवानी का मानना है कि इस विधेयक के आने के बाद 18 साल से कम उम्र का कोई शख्स अपना धर्म परिवर्तन नहीं कर सकेगा। जब कोई ऐसा करना चाहेगा तो उसे अदालत जाना पड़ेगा और यह बताना होगा कि उसे अपनाने वाले धर्म में कौन-सी बात अच्छी लगी। इसके अलावा धर्म से मिलने वाली शिक्षा और अपनी मर्जी भी अदालत में जाहिर करनी होगी। अलबत्ता यह मामला मझधार में ही है। साल 2016 में सिंध प्रांत की सरकार गैर-मुस्लिम नागरिकों को जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए ऐसा ही एक विधेयक लेकर आई थी। धार्मिक दलों ने इस विधेयक के कुछ हिस्सों को लेकर आपत्ति जताई थी और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया, जिसके चलते विधेयक रद्द हो गया।

धर्मांतरण में मदरसों की भूमिका

पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक ‘डॉन’ में कुछ समय पहले एक मानवाधिकार कार्यकत्र्ता के हवाले से बयान छपा था कि पाकिस्तान में सिंध के उमरकोट जिले में जबरन धर्म परिवर्तन की करीब 25 घटनाएं हर महीने होती हैं। इस इलाके में गैर-मुस्लिम दलित अल्पसंख्यक रहते हैं। इलाका बेहद पिछड़ा होने के कारण यहां धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायतें पुलिस में दर्ज ही नहीं की जाती हैं। सांसद वांकवानी का भी यह कहना है कि कुछ लोग दावा करते हैं कि एक साल में लोगों ने हजारों लड़कियों का धर्मांतरण करवाया है। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया था कि  जबरन धर्म परिवर्तन के लिए 2 या 3 मदरसे यहां सक्रिय हैं। इनमें बारछूंदी शरीफ  का मियां मिट्ठू मदरसा भी है जो अन्य छोटे मदरसों की भी मदद करता है। बीते करीब 2 सालों में 8 हिंदू नाबालिग लड़कियों के किडनैपिंग और जबरन विवाह के ऐसे मामले सामने आए जिनमें उनके परिजनों ने पुलिस में शिकायत तो की लेकिन लड़कियों ने कोर्ट में खुद अपनी मर्जी से निकाह की बात कबूली।

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बंदूक के दम पर किडनैपिंग और निकाह

पाकिस्तान भारत में रह रहे मुसलमानों का कथित तौर पर रहबर बनकर उनको बरगलाने की कोशिश तो करता है लेकिन ये सब करने से पहले अपने ही देश में हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को भूल जाता है। यही नहीं, वहां का शासन और पुलिस प्रशासन अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। पाकिस्तान में कानूनी तौर पर 16 साल की उम्र की लड़की की शादी को वैध माना जाता है जबकि सिंध प्रांत में यह उम्र 18 साल निर्धारित की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंदू अल्पसंख्यकों की 12 से 14 साल की लड़कियों का बंदूक के दम पर अपहरण किया जाता है। इनका निकाह पहले से ही शादीशुदा अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ कर दिया जाता है। अगर पाक के हिंदू संगठन और भारत दखलअंदाजी करें तो लड़कियों के खुद इस्लाम करने के वीडियो तैयार करवाकर वहां की अदालतों में पेश किए जाते हैं, जिन्हें वायरल कर दिया जाता है। पाक के हिंदू यह भी सवाल उठाते आ रहे हैं कि उनकी लड़कियों से जबरन निकाह नहीं किए जा रहे हैं तो कोई लड़की बहन बनकर इस्लाम क्यों कबूल नहीं कर रही है।

फिर भी मजहब से ताल्लुक नहीं

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व वामपंथी राजनीतिक कमैंटेटर नजम अजीज सेठी ने धर्मांतरण और जबरन निकाह को लेकर एक स्थानीय चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि धर्मांतरण और जबरन विवाह का मजहब से कोई ताल्लुक नहीं है। वह कहते हैं कि ऐसे मामलों में लड़कियों को किडनैप कर लिया जाता है और कलमा पढ़वाकर उनसे जबरन निकाह कर लिया जाता है।  इसके बाद उन्हें मुस्लिम की बीवी का दर्जा मिल जाता है और वे अपने घर वापस जाने के लायक भी नहीं रहती हैं। वह कहते हैं कि ऐसे 90 फीसदी मामलों में शादी के 2-4 महीने बाद इस तरह की लड़कियों को या मार दिया जाता है या फिर वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेल दिया जाता है। वह यह भी कहते हैं कि धर्मांतरण के बाद अदालतों और पुलिस का रुख भी नरम रहता है क्योंकि वे चाहते हैं कि ऐसी लड़कियों का घर बस जाए। 

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